हरदोई। नुमाइश रामलीला मेला मैदान में पुरवसियो का मिलाप निषाद मिलन की लीला का मंचन कन्हैया लाल दन्त्रेय के कुशल निर्देशन में हुआ।
मंचन जिसमें प्रभु श्री राम माता कौशल्या के महलों में होते हुए उधर जब माता-सीता को पता चलता है कि राम जी वन को जा रहे हैं तो माता सीता कौशल्या के महलों में पहुंच जाती है माता के पैर पकड़कर प्रभु श्री राम के साथ जाने की बात कहती है तो प्रभु श्री राम बहुत प्रकार से माता सीता को समझते हैं। लेकिन माता-सीता नहीं मानती हैं और प्रभु श्री राम के साथ वन के लिए चल देती है। इधर जब लक्ष्मण जी को पता चला तो लक्ष्मण जी भी प्रभु श्री राम के पास गए और उनसे बन जाने के लिए बोलते हैं तो राम जी लक्ष्मण जी को भी बहुत प्रकार से समझते हैं लक्ष्मण जो श्री राम जी की एक बात नहीं सुनते हैं, तो राम जी उनसे कह रहे हैं की अपनी माता से आज्ञा लेकर आओ, तो तुरंत लक्ष्मण जी अपनी माता सुमित्रा के पास जाते हैं और राम जी के वन जाने की बात बदलते हैं तो माता मूर्छित हो जाती है फिर लक्ष्मण जी राम जी के साथ वन जाने की बात कहते हैं तो उन्हें प्रेम से आज्ञा दे देती है और कहती है कि राम की सेवा में कभी कोई कमी नहीं आए। लक्ष्मण जी अपना यज्ञोपवीत पकड़कर प्रतिज्ञा करते हैं कि जब तक राम जी वन में रहेंगे तब तक मै सोऊंगा नहीं उसके बाद लक्ष्मण जी राम जी के पास पहुंच जाते हैं। उधर तीनों प्राणी माता कैकई व राजा दशरथ को प्रणाम करके वन की यात्रा प्रारंभ करते हैं यह सब देश से देखकर पुरवासी बड़े दुखी और विलाप करने लगे उन्हीं के साथ वन जाने लगे यह सब देखकर भक्त भावुक हो जाते है।
इस मंचन के समय राम प्रकाश शुक्ला, कृष्ण अवतार दीक्षित (बाले), प्रेम शंकर द्विवेदी, राकेश गुप्ता, अमलेन्द्र नाथ मिश्रा( मांटी बाबू), उमेश चन्द्र मिश्र, राजेन्द्र त्रिवेदी, रजनीश श्रीवास्तव, सतीश चन्द्र, सर्वेश त्रिपाठी, सहित सैकड़ों गणमान्य नागरिक व महिलाएं उपस्थित रहीं।