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अस्पतालों की बड़ी मंडी बन चुका है शाहाबाद

अस्पतालों की बड़ी मंडी बन चुका है शाहाबाद

शाहाबाद हरदोई। अगर आप अच्छी कमाई चाहते हैं और जल्दी ही अमीर बनने का ख्वाब देख रहे हैं तो मात्र 6 महीने के लिए किसी डॉक्टर के पास बतौर हेल्थ वर्कर काम करें और उसके बाद अपना आलीशान अस्पताल खोलकर ओटी डालें और महीने में लाखों कमाए। इसके लिए आपको कुछ भी नहीं करना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग के आला हुक्मरानों का वरदहस्त बना रहे। कुछ ऐसा ही खेल इस वक्त शाहाबाद में खेला जा रहा है। चंद महीनों तक डॉक्टरों के यहां कंपाउंडरी करके झोलाछाप डॉक्टरों ने एक से एक आलीशान हॉस्पिटल बना रखे हैं जिनमें डिलीवरी और ऑपरेशन से लेकर सारे इलाज किए जाते हैं। इस वक्त शाहाबाद नगर क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक आलीशान हॉस्पिटल बनकर तैयार हो गए हैं। झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित आलीशान हॉस्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर में सारे इलाज किए जाते हैं। आपको बता दें इन झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा क्वालिफाइड डॉक्टरों से महीना तय करके उनकी डिग्रियां लगाई जाती हैं और अस्पताल का रजिस्ट्रेशन करा लिया जाता है। इस सारे कार्य में स्वास्थ्य विभाग के आला हुक्मरान आंखें बंद करके समझौते के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कर देते हैं । वह केवल डॉक्टरों की डिग्रियां देखते हैं। अस्पताल में इलाज कौन कर रहा है ? उसके इलाज से कितने मर रहे हैं ? इससे स्वास्थ्य विभाग के आला हुक्मरानों का कोई भी लेना देना नहीं। यही वजह है कि शाहाबाद नगर क्षेत्र में संचालित झोलाछाप डॉक्टरों के इन बड़े-बड़े हॉस्पिटल्स में प्रतिदिन कोई न कोई महिला या पुरुष मरीज लापरवाही के दौरान मौत का शिकार हो जाता है । हाय तौबा मचती है उसके बाद उस अस्पताल को चंद दिनों के लिए सीज कर दिया जाता है। कुछ दिनों बाद स्वास्थ्य विभाग के आला हुक्मरानों की नजरें फिर से इनायत हो जाती हैं और फिर से यह कथित अस्पताल दूसरे नाम से संचालित होने लगते हैं। शाहाबाद नगर क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक हॉस्पिटल एंड मेटरनिटी सेंटर चलाए जा रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित इन नर्सिंग होम एवं मेटरनिटी सेंटर को संचालित करने के लिए बड़े-बड़े डिग्री होल्डर डॉक्टरों की डिग्रियां लगाई जाती हैं और उन्हें मासिक शुल्क दिया जाता है। इसके बाद धड़ल्ले से अस्पताल संचालित करके मरीजों से मनमाना शुल्क वसूला जाता है। इन अस्पतालों में डिलीवरी से लेकर ऑपरेशन तक सारे इलाज किए जाते हैं । ऑपरेशन के लिए पहले से तय सर्जन को बुलाकर ऑपरेशन कराया जाता है । एक फंडा इन अस्पताल संचालकों द्वारा और भी किया जाता है अगर नॉर्मल डिलीवरी से भी बच्चा पैदा होने की गुंजाइश होती है फिर भी गर्भवती महिला के परिजनों को इतना डरा धमका दिया जाता है कि अगर ऑपरेशन नहीं होगा तो जच्चा, बच्चा दोनों की जान जा सकती है । नॉर्मल डिलीवरी होने वाले केसों का भी ऑपरेशन कर दिया जाता है और भारी कमाई की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के आला हुक्मरानों को यह सब कुछ मालूम है लेकिन समझौते के तहत झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा संचालित इन हॉस्पिटल एंड मेटरनिटी सेंटर की ओर से पूरी तरह से नजरें हटाई जा रही हैं। लेकिन जब कोई घटना घट जाती है तो इन हॉस्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर पर छापेमारी करके उन्हें चंद दिनों के लिए सीज कर दिया जाता है। नगर क्षेत्र में ऐसी तमाम घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें मृतका के परिजनों ने बवाल काटा, रास्ता जाम किया । मौके पर एसडीएम और सीओ पहुंचे, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पहुंचे और अस्पताल को सीज कर दिया गया। आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों को सीज किया जा चुका है। अभी कुछ दिन पहले शाहजहांपुर हाईवे स्थित एक हॉस्पिटल में भी इसी आरोप के अंतर्गत डिप्टी सीएमओ द्वारा उसे सीज कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि जब झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा अस्पतालों का पंजीयन कराया जाता है तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा केवल डिग्री होल्डर डॉक्टरों की डिग्रियां ही देखी जाती हैं। यह देखना मुनासिब नहीं समझा जाता कि इस अस्पताल का संचालन कौन करेगा ? स्वास्थ्य विभाग के इसी नजरअंदाज कारण के चलते झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से स्वास्थ्य विभाग को ठेंगा दिखाते हुए काम कर रहे हैं और मरीजों के परिजनों से भारी उगाही कर रहे हैं । आखिर स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टरों को बड़े-बड़े अस्पताल संचालित करने का अवसर क्यों दे रहा है ? सवाल यह भी उठता है कि स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन झोलाछाप डॉक्टरों के बड़े-बड़े अस्पतालों और मैटरनिटी सेंटरों की जांच क्यों नहीं करता ? फिलहाल कुछ भी रहा हो लेकिन शाहाबाद अस्पतालों की मंडी बन चुका है और मौत के सौदागर आए दिन मरीजों को मौत के घाट उतार रहे हैं।

क्या बोले जिम्मेदार ?

झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा बड़े-बड़े मेटरनिटी सेंटर एवं हॉस्पिटल के बारे में पूछे जाने पर डिप्टी सीएमओ सुरेंद्र कुमार का कहना था उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है । अगर जांच के दौरान कोई भी झोलाछाप डॉक्टर अस्पताल का संचालन करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अवश्य की जाएगी।

रामप्रकाश राठौर

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