हरदोई – बीते दो दिनों से ठंड अपना विकराल रूप दिखाने लगी है।जनपद में क़स्बो व ग्रामीण क्षेत्रों में तो पहले से ही कोहरे की चादर लिपटी हुई सुबह हो रही थी बीते दो दिनों से शहर में भी कोहरे ने अपने पैर पसार लिए हैं। कोहरे के चलते ट्रेनों से लेकर सड़क यातायात पर इसका गहरा असर पड़ा है। बुधवार शाम से जनपद में चल रही शीत लहर ने ठंड को बढ़ा दिया है। सुबह व रात का तापमान 8 से 10 डिग्री तक रिकॉर्ड किया जा रहा है लेकिन इन सबके बीच शीतलहर में बच्चे स्कूल जाने को विवश है। शहर के अधिकांश बड़े स्कूल खुले हुए हैं। ठंड को देखते हुए कई जनपदों में स्कूल को बंद कर दिया गया है जबकि कहीं पर स्कूल के समय में परिवर्तन किया गया है। हरदोई में ज्यादातर बड़े स्कूल सुबह 7:00 बजे 8:00 बजे से संचालित होते हैं।ऐसे में शीतलहर के बीच बच्चों को सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाना पड़ रहा है।स्कूल संचालक इस बाबत ध्यान नहीं दे रहे हैं साथ ही जिला प्रशासन भी अब तक मौन बैठा है।साइकिल से, मोटरसाइकिल से, पैदल, ई रिक्शा से स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए बीते तीन दिनों से मुसीबत के दिन साबित हो रहे हैं। ठंड में बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जा रहे हैं।
कब खुलेंगी जिम्मेदारों की आँखें
कुछ वर्षों पूर्व की बात की जाए तो 25 दिसंबर से ज्यादातर स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिए जाते थे लेकिन अब निजी स्कूल संचालक अपनी मनमानी के चलते स्कूलों की छुट्टी करने में आनाकानी करते हैं। हरदोई में बीते तीन दिनों से कोहरे ने कहर मचाया हुआ है वही ठंड ने भी अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है।उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग ने बारिश का अलर्ट जारी किया है मौसम विभाग ने प्रदेश में ठंड और बढ़ने का अंदेशा जताया है।सुबह 7:00 बजे से 8:00 बजे तक सड़कों पर ठंड में ठिठुरते हुए हाथों को जेब में डालकर स्कूल जाते बच्चे अपनी बेबसी की दास्तान बयान करते हैं। तीन दिन से पड़ रही ठंड के बावजूद भी अब तक जिला प्रशासन ने इसका संज्ञान नहीं लिया है। जनपद के ज्यादातर अधिकारी हीटर चलाकर रूम में बैठकर कार्य कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों की पीड़ा उन तक नहीं पहुंच रही है।अभिभावकों ने बताया कि बड़े स्कूलों में पढ़ाई का बच्चों पर काफी दबाव रहता है।उन्हें उम्मीद थी कि नई शिक्षा नीति लागू होने से राहत मिलेगी लेकिन उत्तर प्रदेश में नई शिक्षा नीति अब तक पूर्णतया लागू नहीं हो पाई है। ठंड में स्कूल जाने से कई बच्चे बीमार भी हुए हैं। अभिभावकों का कहना है कि ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन को या तो समय 10:00 बजे से करना चाहिए या फिर अवकाश घोषित कर देना चाहिए।अभिभावक कहते हैं कि एक दिन स्कूल न जाने से बच्चों का काफी कोर्स छूट जाता है। ऐसे में बच्चों पर पढ़ाई की दोहरी मार्ग पड़ती है। इसलिए बच्चे स्वयं से अवकाश लेना नहीं चाहते हैं।