लखनऊ। आधार कार्ड अब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। राशन की दुकान से लेकर सिम कार्ड लेने तक में ये काम आता है। अब ऐसा ही एक और कार्ड सरकार आपके बच्चों के लिए बनाने जा रही है।ये आने वाले समय में उनकी स्कूल की पढ़ाई-लिखाई से लेकर कॉलेज में एडमिशन लेने और नौकरी ढूंढने तक में मदद करेगा। इसका नाम सरकार ने ‘अपार आईडी कार्ड’ रखा है।भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने ‘अपार आईडी कार्ड’ बनाने की शुरुआत की है।ये देशभर में स्कूली छात्रों का पहचान पत्र होगा। इसे ‘ एक राष्ट्र, एक विद्यार्थी कार्ड’ भी कहा जाता है।सरकार जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई है उसके हिसाब से ही ‘अपार कार्ड’ बनाना शुरू किया है।‘अपार कार्ड’ का फुल फॉर्म ‘ऑटोमेटेड परमानेंट अकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री’ है। सरकार स्टूडेंट का 12 अंकों एक ऐसा आईडी कार्ड बनाएगी जो बचपन से लेकर उनकी पढ़ाई खत्म होने तक स्थायी रहेगा।उनके स्कूल बदलने पर भी उनकी ‘अपार आईडी’ एक ही रहेगी। ये उनके आधार कार्ड से अलग होगा और आपस में लिंक होगा। इसमें सभी जानकारी ऑटोमेटिक तरीके से अपडेट होती जाएगी।इसके लिए सरकार ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स’ लॉन्च किया है। ये शैक्षिक रजिस्ट्री की तरह काम करता है, इसे आप ‘डिजिलॉकर’ की तरह ‘एडुलॉकर’ भी समझ सकते हैं।‘अपार कार्ड’ असल में एक छात्र की सभी तरह की जानकारी को डिजिटली स्टोर करेगा।इसमें उनकी पढ़ाई-लिखाई का सारा हिसाब-किताब होगा, जैसे कि बच्चों ने कितनी कक्षा तक पढ़ाई की है, उनको क्या-क्या इनाम मिला है, उनके पास कौन-कौन सी डिग्री है, उन्हें वजीफा यानि स्कॉलरशिप मिला है या नहीं, अगर मिला है तो कितना और कहां-कहां से मिला है, उनके किस कक्षा में कितने मार्क्स आए हैं, वगैरह-वगैरह सभी जानकारी इस कार्ड में डिजिटली ट्रांसफर होगी।‘अपार कार्ड’ बनवाने के लिए विद्यार्थी के पास एक वैलिड आधार कार्ड होना जरूरी है। ‘डिजिलॉकर’ पर उसका अकाउंट होना भी जरूरी है। विद्यार्थी की ई-केवाईसी पूरी की जाएगी।‘अपार कार्ड’ छात्र-छात्राओं को उनके स्कूल या कॉलेज जारी करेंगे। यह रजिस्ट्रेशन बच्चों के माता-पिता की सहमति से होगा।माता-पिता किसी भी समय अपनी सहमति को समाप्त यानि विड्रॉल भी कर सकते हैं। स्कूल और कॉलेज विद्यार्थियों को एक फॉरमेट फॉर्म देंगे, जिसे वह अपने माता-पिता से भरवाकर जमा कर सकते हैं। अभिभावकों की सहमति के बाद ही स्कूल या कॉलेज बच्चों का ‘अपार कार्ड’ बना सकेंगे।