हरदोई। स्वर्गीय पंडित राजाराम शुक्ल शास्त्री की पुण्य स्मृति में पुलिस अधीक्षक आवास के सामने स्थित विद्यालय यूनाइटेड पब्लिक स्कूल में आयोजित हो रही श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन पूजन के उपरांत राम सेवा ट्रस्ट प्रयागराज के परम पूज्य आचार्य शिवम जी महाराज के द्वारा श्रष्टि प्रक्रिया वर्णन से प्रारंभ कर हिरण्याक्ष वध, कपिल उपाख्यान, दक्ष प्रजापति अभिमान, शिव चरित्र, ध्रुव चरित्र, पुरंजन उपाख्यान की कथा श्रवण कराई गई।
बाबा अमरनाथ की महिमा, महाभारत की कथा सुनाते हुए आचार्य जी ने कहा कि हर धर्म का अपना एक अलग ग्रंथ है, जिसमें जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का हल छुपा है। यही ग्रंथ हमें एक बेहतर मनुष्य की तरह जीना सिखाते हैं। इन्हीं धर्म ग्रंथों में से एक है भागवत पुराण जिसमें हिन्दुओं की गहरी आस्था है। महाभारत के अनुसार कु रुक्षेत्र युद्ध में भगवान कृष्ण ने गीता का संदेश अर्जुन को सुनाया था गीता सिर्फ़ भारत ही नहीं दुनियाभर को नई दिशा देने वाला ग्रंथ माना जाता है। महाराज जी द्वारा सृष्टि प्रक्रिया वर्णन से कथा प्रारंभ करते हुए हिरण्याक्ष वध, कपिलोपाख्यान, दक्ष प्रजापति अभिमान, शिव चरित्र, ध्रुव चरित्र एवं पुरंजन उपाख्यान की कथा सुनाई गई। शिव चरित्र का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार में सामंजस्य रखें और अगर सामंजस्य नहीं है तो कहीं ना कहीं सत्संग की कमी है। सामंजस्य बनाना सीखना है तो महादेव के परिवार से सीखो। भोले बाबा की सवारी नंदी बैल और माता पार्वती की सवारी सिंह है, एक दूसरे के घोर विरोधी होने के बावजूद भी महादेव की कृपा से साथ-साथ रहते हैं। भोले बाबा के गले में सर्प और उनके पुत्र कार्तिके य का वाहन मोर दोनों एक दूसरे के शत्रु फिर भी एक ही घाट का पानी पीते हैं। इससे सभी को सीख लेना चाहिए कि विरोधाभास छोड़कर सामान्य से रहें, जिससे आपका परिवार सर्वोच्च बनेगा।
सहयोगी आचार्यों द्वारा विधि विधान से पूजन कार्य सम्पन्न कराया।कथा में मुख्य यजमान डॉ.राज शुक्ला , शैल शुक्ला, मानवेंद्र शुक्ला सपत्नीक रहे।कथा आयोजक मानवेन्द्र शुक्ला ने बताया श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन प्रह्लाद चरित्र, वामन चरित्र, कृष्ण एवं राम जन्मोत्सव का प्रसंग पूज्य आचार्य जी द्वारा सुनाया जाएगा।कथा में प्रमुख रूप से अखिलेश शुक्ला,राघव शुक्ला,देवेश शुक्ला , वन्दना शुक्ला ,रेखा वर्मा,पूनम शुक्ला, प्रेमेंद्र मिश्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थिति रहे।