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‘मधुमेह न होने दें, यदि हो जाए तो ठीक करें जीवनशैली’

‘मधुमेह न होने दें, यदि हो जाए तो ठीक करें जीवनशैली’

हरदोई। मधुमेह रोकथाम के प्रति जागरुकता बढ़ाने और इस बीमारी से निपटने के लिए प्रत्येक वर्ष चौदह नवम्बर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाया जाता है।।शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में मंगलवार को आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने मधुमेह से बचने के लिए प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया।

कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र ने कहा कि रोगी हो या निरोगी, सभी को चीनी और चीनी से बनी चीजों से दूरी बना लेनी चाहिए। कहा मधुमेह से बचने के लिए आदर्श जीवनशैली अपनायें और मधुमेहग्रस्त लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने कहा कि शर्करा जातीय खाद्य पदार्थ गेहूं की रोटी, चावल, आलू आदि से परहेज़ करें और बाजरा जैसे मोटे अनाज की रोटी और हरी सब्जियों का सेवन करें। नित्य व्यायाम करें। इससे शुगर सामान्य रहेगी। डॉ सरल कुमार ने कहा कि जैसे अनाज को घुन खोखला कर देता है, ठीक वैसे ही मधुमेह से शरीर खोखला हो जाता है। कहा हमारे ऋषियों को ईसा से पूर्व ही मधुमेह की जानकारी थी। कहा फाइबर युक्त आहार लें और व्यायाम करने में कोताही न करें। सीएसएनपीजी कॉलेज के प्राचार्य रहे डॉ नरेश चन्द्र शुक्ल ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे मधुमेह से प्रभावित हो रहे हैं। कहा वे प्रारम्भ से ही नित्य व्यायाम करते हैं और आहार ठीक रखते हैं। इसलिए शुगर सामान्य रहती है। प्रीतेश दीक्षित ने कहा कि कायाकल्पकेन्द्रम् में स्वास्थ्य रक्षा के लिए मार्गदर्शन मिलता रहता है।कहा गेहूं आने के बाद मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां बढ़ीं। कहा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मिलेट्स (मोटे अनाज) को बढ़ावा दे रहे हैं। नि:संदेह मोटे अनाज के सेवन से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ अभिषेक पाण्डेय, गोविन्द गुप्ता, शिवकुमार, सतेन्द्र नाथ पाण्डेय, दीपाली उपस्थित रहे।

सुधांशु मिश्र

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