लखनऊ। लौहपुरुष ‘भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हजरतगंज स्थित सरदार पटेल स्मारक पार्क में उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एकता दौड़ ‘रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, सांसद कौशल किशोर, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा आदि मौजूद रहे। योगी ने राष्ट्रीय एकता के आधार स्तंभ और भारत माता के महान सपूत लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब स्वतंत्र भारत में अलग-अलग रियासतों को भारत गणराज्य का हिस्सा बनाने के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होने कहा कि भले ही उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें तत्कालीन सरकारों ने सम्मान न दिया हो, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव व्यक्त करते हुए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। इस अवसर पर देशवासी जाति, मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा को भुला कर एक साथ एकता दौड़‘रन फॉर यूनिटीश्में शामिल हो करके सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। योगी ने शार्ट नोटिस पर बड़ी संख्या में एकता दौड़‘रन फॉर यूनिटीश्में शामिल होने आए बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को धन्यवाद देते हुए उनका आभार प्रकट किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज के दिन हमें उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं का स्मरण करना चाहिए, जिन्होंने भारत को आजाद कराने में और स्वतंत्र भारत के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि जब भारत आजाद हुआ था तो वह 562 रियासतों में बंटा हुआ था। अंग्रेजों ने जानबूझ कर रियासतों को विलय करने या अलग रहने का निर्णय करने का मौका दिया था। ऐसे में देश के गृहमंत्री के रूप में सरदार वल्लवभाई पटेल के सामने क्या कठिन परिस्थिति और चुनौती रही होगी, इसकी आज कल्पना करना भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि यह सरदार पटेल की दूरदर्शिता और उनकी कूटनीतिक एवं रणनीतिक क्षमता का ही परिणाम था कि भारत की एकता और अखण्डता सुनिश्चित की जा सकी। आप सभी ने जूनागढ़ रियासत और निजामशाही से जुड़ी घटनाओं के बारे में सुना होगा। सरदार पटेल ने इन दोनों रियासतों का भारत में विलय कराया। जम्मू एवं कश्मीर के विलय का काम भी अगर सरदार पटेल को ही सौंपा गया होता तो संविधान की धारा 370 की समस्या पैदा ही नहीं हुई होती। सरकार पटेल ने उस समय सूझ बूझ और द्दढ़ता का परिचय न दिया होता तो आज भारतवासियों को जूनागढ़ और हैदराबाद जाने के लिए वीजा पासपोर्ट की जरूरत पड़ रही होती।