रिपोर्ट: राहुल मिश्रा
सीतापुर। मिश्रित तहसील में लंबे समय से तहसीलदार और न्यायिक तहसीलदार की तैनाती नहीं है। इन दोनों पदों का कार्यभार वर्तमान समय में प्रभारी के तौर एक नायब तहसीलदार के हवाले है लेकिन वह भी छुट्टी पर चले गये है जिससे तहसील की न्यायिक व्यवस्था को ग्रहण लग गया है।
सोचनीय यह है कि तहसील के सुदूर क्षेत्रों से अपना समय और धन बर्बाद करके न्याय पाने की आश लेकर तहसील आने वाले वादकारी तारीख दर तारीख का दन्श झेलकर हलकान हो रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि राजकुमार गुप्ता 3 जून2021 से 23 नवम्बर 2022 तक मिश्रित तहसील में तहसीलदार के पद पर कार्यरत रहे, उनके बाद मिश्रित में तहसीलदार बनकर आये मनीष कुमार ने 24 नवम्बर2022 से 30 जून 2023 तक तहसीलदार पद का कार्यभार सम्भाला, लेकिन यहां से स्थानान्तरण हो जाने पर सुश्री सुरभि राय को जिला प्रशासन द्वारा इस तहसील में बीते 21अगस्त 2023 को तहसीलदार के पद पर तैनात किया था। इस बात को विडंबना कहें या इस तहसील का दुर्भाग्य की सुश्री राय का भी एक माह बाद 22 सितम्बर 2023 को इस तहसील से स्थानान्तरण हो गया, उसके बाद से तहसील क्षेत्र के परगना औरंगाबाद के नायब तहसीलदार राम सूरत यादव को प्रभारी के रूप में तहसीलदार पद का कार्यभार तहसील प्रशासन द्वारा सौंपा गया, लेकिन श्री यादव भी बीते 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक की छुट्टी पर चले गये हैं जिससे उनकी स्वयं की अदालत और तहसीलदार अदालत का न्यायिक कार्य पूरी तरह से ठप होकर रह गया है। इसका परिणाम यह है कि तहसील के सुदूर क्षेत्रों से न्याय पाने की आश में आने वाले वादकारी अपने मुकदमों में तारीख दर तारीख की दुर्व्यवस्था को झेल रहे है। इतना ही नहीं यह भी बताते चलें कि मिश्रित तहसील में न्यायिक तहसीलदार के रुप में कार्यरत रहे राजकुमार गुप्ता को प्रशासन द्वारा बीते वर्ष 30 जून 2021 को यहीं पर तहसीलदार बना दिया गया था तब से अब तक मिश्रित तहसील में न्यायिक तहसीलदार का पद ही रिक्त चला आ रहा है। इस तरह मिश्रित तहसील में तहसीलदार,और अपर तहसीलदार की अदालतों में संचालित विभिन्न प्रकार के जमीनी मुकदमों के वादकारी पक्ष और विपक्ष दोनों तारीख दर तारीख का निरन्तर दन्श झेलते चले आ रहे हैं। कहना ग़लत न होगा कि मिश्रित तहसील की न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा कर रह गई है। जिसकी तरफ जिला प्रशासन के साथ ही प्रदेश शासन और राजस्व परिषद को गम्भीरता से पहल करने की आवश्यकता है जिससे मिश्रित तहसील में चरमराई हुई न्यायिक व्यवस्था पटरी पर आ सके तथा तहसीलदार व न्यायिक तहसीलदार की अदालतों से सम्बन्धित वादकारियों को समयबद्धता से न्याय मिल सके।