सांडी,हरदोई।परम पिता परमात्मा की उपासना करने का सबसे सरल संसाधन यज्ञ हैं।जो ईश्वर का मुख हैै।उन्हें जो भी पदार्थ खिलायेगे उससे कहीं ज्यादा आपको प्रदान करेगे।व्यक्ति अपने जीवन में जो भी अच्छे बुरे सत्कर्म करेगा उसी के अनरूप हासिल करेगा।
उक्त विचार आर्य समाज मंदिर के 87 वें बार्षिकोत्सव के तीसरे दिवस 27 अक्टूबर को सम्पन्न कराये यज्ञ में आर्य प्रतिनिधि सभा के विद्वान आचार्य विमल कुमार ने व्याक्ति किया।यजमान अंशुल गुप्ता बने।यज्ञ की वेदी पर बैठे लोगो को यज्ञोपवीत कराया।
यज्ञ के आचार्य विमल आर्य ने यज्ञोपवीत का महात्व बताते हुए यजोपवीत अंकुल गुप्त,रामनाथ को कराया।यज्ञ की पूर्ण आहूति तीसरे दिवस दी।हरिद्वार के विद्वान शैलेश मुनि सत्यार्थी ने ईश्वर की उपासना व जड़ व चेतन देवता की पूजा करना भी महात्व समझाया।जड़ देवता सूर्य,वायु,आग्नि का अलग अलग महात्व बताया यदि एक की भी पूजा नही होगी तो स्थिरता नही होगी।ईश्वर सभी का चालक हैं।वही चेतन देवता माता पिता हैं।इनकी कॄपा न होता तो जीवन न होता ।
वही बिजनौर से आये भजनोउपदेशक नरेद्र दत्त आर्य ने श्रवण व राजा दशरथ की मार्मिक कथा सुनाते हुए कहा जेसा कर्म करेगे प्रति फल मिलता हें।
आर्य विदुषी प्रज्ञा व ऋतम्भरा ने ईश्वर भक्ति व महर्षि दयानन्द सरस्वती के संदेश वेदों की ओर लौटो की अलख जलाने के लिए गीतो के माध्यम से जागृति की।वही 26 अक्टूबर की रात्रि कार्यक्रम में जनपद के पकरी गांव के अनिल धर्नुधर ने अपनी कला के 10 भैदन लक्ष्य साधकर लोगों मन्त्र मुग्ध कर दिया। भेदन में शब्द भेदी,स्पर्श भेदन,हिलते धागा,लटकते धागा,एक लक्ष्य से चार दुश्मनो को एक ही बाण से लक्ष्य बनाना।आर्य समाज़ मदिर में तमाम भक्त प्रदर्शन देख मंन्त्र मुग्ध हो गये।