हरदोई के मल्लावां में बंदीपुर में शांति सत्संग मंच के स्वर्ण जयंती समारोह आध्यात्मिक सत्संग एवं संत सम्मेलन में रसिक पीठाधीश्वर जन्मेजय शरण जी ने धर्म की महत्ता पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचान कर उसे पर चलने वाला मनुष्य ही मानव का कल्याण करके व समाज और राष्ट्र का भी कल्याण करता है । धर्म के धारण के लिए समर्पण के साथ-साथ चरित्रवान होना बहुत ही परम आवश्यक है । भरत चरित्र या हनुमान चरित्र की कथा भी बड़ी ही प्रेरणादाई है क्योंकि यह दोनों चरित्र और धर्म पर चलते रहे ।जीवन को सफल बनाने के लिए हम अपने जीवन में धर्म का आचरण करना बहुत जरूरी है।
जगद्गुरु धीरेंद्र आचार्य जी ने ज्ञान,वैराग्य और भक्ति पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि मनुष्य जब पृथ्वी पर आता है तो उसकी पहली आवश्यकता होती है रोटी,कपड़ा और मकान । कभी-कभी परिस्थितियों और मजबूरियां ऐसी हो जाती है कि नहि दान किए ना ही धर्म किए बस अंत रही मन ही मन की । मनुष्य जो कार्यकर्ता है उसका उसे फल मिलता है जो जीवन में कुछ भी नहीं करता वह जीवन में सफल नहीं होता ।
कर्म और मन के भाव समाज में परिवर्तन ला सकते हैं इसके द्वारा हमारे समाज में परिवर्तन आ सकता है और देश,समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सकता है “माना कि अंधेरा बहुत बड़ा है लेकिन दिया जलाना कहां मना है ।” जीवन के परिवर्तन ज्ञान,वैराग्य और भक्ति दोनों ही आवश्यक है । संत में अंदर और बाहर दोनों तरफ से वैराग्य होता है इसीलिए वह पूजनीय एवं वंदनीय होता है ।
छतरपुर से पधारे पंडित राघवेंद्र दास जी महाराज ने यह बताया कि जीवन के परिवर्तन के लिए आचरण व संस्कार भी जरूरी है बिना आचरण व संस्कार के बिना हम अपने स्वयं में परिवर्तन नहीं ला सकते । भगवान राम विषम परिस्थितियों में भी एक समान रहते हैं कहां राज्याभिषेक के बजाय वनवास जाने पर भी दोनों परिस्थितियों में एक हैं । माया का अधिकार ईश्वर पर नहीं होता है जीव पर होता है क्योंकि जीवात्मा परमात्मा का ही अंश है । रामचरित्र मानस हमें यह शिक्षा देता है कि मानव को क्या करना चाहिए । राम का समर्पण,दयालुता,कृपालुता आदि सभी गुण विद्यमान है इसीलिए मनुष्य को राम के चरित्र तथा राम के नाम की महिमा का गुणगान करते हैं । अपने व्यक्ति के निधि जीवन के सर्वरणीय विकास के लिए राम कथा का अवश्य श्रवण करें,मनन करें और उसको अपने जीवन में उतरे जिससे आपके साथ कल्याण समाज और राष्ट्र का भी हो जो कि उसकी बड़ी ही आवश्यकता है।
शांति सत्संग मंच के 50 में रजत जयंती समारोह में पांच जगत गुरु शंकराचार्य मौजूद रहे जिसमें जगतगुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य जी महाराज,जगतगुरु स्वामी आत्मानंद जी महाराज,जगतगुरु स्वामी जन्मेजय शरण जी महाराज, जगद्गुरु पारीक्षा पीठाधीश्वर महावीर दास और अनेकों संत और महात्मा मौजूद रहे और सत्संग की ज्ञान गंगा में श्रोताओं को आनंदित करते रहे । श्रोता और संत महात्माओं की पूरी व्यवस्था सुरेश चंद्र,दिनेश चंद्र,उमेश चंद्र,प्रकाश चंद्र,संतोष चंद्रगुप्त ने संभाली सत्संग का कार्यक्रम देर रात तक चला।सत्संग का मंच संचालन डॉ अशोक चंद्रगुप्त ने किया ।