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वासित नगर में राम वनवास, राम केवट संवाद, दशरथ मरण का उत्कृष्ट मंचन

वासित नगर में राम वनवास, राम केवट संवाद, दशरथ मरण का उत्कृष्ट मंचन


हरदोई। जिले के शाहाबाद कस्बा अंतर्गत रामलीला मेला समिति वासित नगर के मंच पर विछोह और व्याकुलता के ऐसे ऐसे दृश्य दृष्टिगोचर हुए जिससे दर्शकों के हृदय द्रवित हो गए। मेला मैदान में माताओं बहनों बेटियों समेत बच्चों तक के नेत्र उस समय सराबोर हो गए, जब पर्दा उठा और राम वनवास का वरदान कैकेई ने राजा दशरथ से मांग लिया, परिणामस्वरूप राम के साथ सीता और लक्ष्मण के वनवास जाते ही राजमहल से लेकर सम्पूर्ण अयोध्या का वातावरण शोकाकुल हो गया। असामान्य परिस्थितियों में नर नारी
अत्यंत संसयपूर्ण परिस्थिति में जहां लक्ष्मण को गुस्सा आया और उन्होने धनुहा उठाया तभी राम ने न केवल विछोहपूर्ण वातावरण में एक ओर लक्ष्मण को समझाया तो दूसरी ओर अपनी ओर बढ़ते हुए भावपूर्ण भाई भरत को सीने से लगाया। भातृ प्रेम का वह दृश्य देखकर दर्शकों के स्वाभाविक ही नयन छलक पड़े। बडे़ बड़े पत्थर ह्रदय पिघलते परिलक्षित हुए। इतना ही नहीं श्रवण के अंधे माता पिता के श्राप से श्रापित तथा पुत्र वियोग में व्याकुल दशरथ की छटपटाहट पर दर्शकगण जड़वत प्रतीत हुए। सबके सब स्तब्ध दशा में दशरथ को देख रहे थे और उस समय सभामध्य बैठीं कुछ माताएं ही नहीं अपितु बहुत से वृद्ध पिता भी व्यथित थे, सम्भवतः वह वृद्ध पिता दशरथ मरण के मंचन के समय निज पुत्रों के आचरण या व्यवहार या विछोह से चिंतातुर थे। इसी तरह जीवंत मंचन के मध्य राम लक्ष्मण सीता सुमंत के दर्शन से मंत्रमुग्ध होने पर भी केवट नहीं आया और जब आया तो पग पखारने पर अड़ गया। यद्वपि पग पखार कर निषादराज ने वन गमन कर रहे राम को सीता लक्ष्मण सहित पार उतारा और मंत्री सुमंत को अयोध्या प्रस्थान हेतु सहारा दिया। परन्तु संध्या समय जैसे ही मंत्री सुमंत ने असाध्य अयोध्या में मरणासन्न दशरथ को राम के वनवास चले जाने और 14 वर्षों तक लौटकर न आने का संदेश सुनाया वैसे ही दशरथ को युवावस्था में दिया गया श्रवण के माता पिता का श्राप स्मरण हो आया और आनन -फानन उनका साक्षात मृत्यु से साक्षात्कार होने लगा तथा देखते ही देखते उनकी आत्मा पुत्र विछोह में छटपटाते छटपटाते परमधाम की ओर प्रस्थान कर गई। अंततः दशरथ के प्राण पखेरू उड़ते ही पर्दा गिर गया। और फिर लगभग प्रत्येक दर्शक जीवन की असमंजस स्थिति में विदीर्ण हृदय से मेला मैदान की धरती से धीरे धीरे अपने अपने घरों की ओर प्रस्थान कर गए।
इस श्री रामलीला उत्सव में मित्र परिवार के संयोजक अनुराग श्रीवास्तव, सदस्य शिव प्रसाद श्रीवास्तव,संदीप श्रीवास्तव,शिव चरण मिश्र,प्रभाकर बाजपेई,संतोष कुशवाहा,अनिल कुमार सिंह ,विधि प्रशिक्षार्थी सत्यम सक्सेना,संजय अग्निहोत्री,कमलेश यादव,मेला पदाधिकारी अनुज मिश्र,प्रबंधक प्रदीप मिश्र, अध्यक्ष राम मनोहर अग्निहोत्री,प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, अवनीश कुमार श्रीवास्तव, अखिलेश अग्निहोत्री, विनोद कुमार श्रीवास्तव, झुन्नी कश्यप,बाबू बाल्मीकि,राम निवास प्रजापति, अनमोल यादव एवं शिव सत्संग मण्डल के धर्म अध्यात्म प्रेरक अम्बरीष कुमार सक्सेना सहित सैकड़ों दर्शक मौजूद रहे।

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