हरदोई। जिले की शाहाबाद के श्री रामलीला मेला मोहल्ला पठकाना में रामलीला के सजीव मंचन में सूर्पनखा की लक्ष्मण ने नाक काट ली क्योंकि वह बिना शादी किए उनके समेत उनके अग्रज भ्राता राम की कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं थी, दोनों भाइयों के बार बार समझाने पर भी जब वह नहीं मानी तो अपने भइया राम के इशारे पर अंततः लक्ष्मण ने उसके नाक कान काट लिए। जिससे बौखलाई सूपर्णखा सीधे खर दूषण के पास गई और उन्हें सारा वृत्तांत कह सुनाया। जिससे उग्र हुए खरदूषण लड़ने के लिए पंचवटी पहुंच गए। वहां राम के हाथों दोनों महाबली खर और दूषण मारे गए। खरदूषण के मारे जाने की खबर लेकर सुपर्णखा अपने त्रिलोक विजेता भाई रावण के पास लंका पहुंच गई। अपनी बहन की ऐसी दुर्गति देख रावण ने खड्यंत्रकारी योजना बनाई और अपने मामा मारीच को सोने का मृग बनने पर विवश कर राम लक्ष्मण को उसके पीछे वन वन भटकाकर स्वयं सीता को लुभाने के लिए पहले पंचवटी पहुंच गया। उधर सीता के हठ पर जैसे ही राम मृग के पीछे भागते हुए गए और उसे मार गिराया तभी मरते मरते मृग ने हाय लक्ष्मण हाय लक्ष्मण करके राम की आवाज में लक्ष्मण को बुलाया। उधर लक्ष्मण गए और इधर रावण ने साधु भेस बनाकर सीता का हरण कर लिया। रास्ते में जटायुराज गिद्ध संपाती से रावण का भयंकर युद्ध हुआ। जब रावण ने देखा कि वह किसी तरह जटायु से जीत नहीं सकता तो उसने बुध्दिबल का प्रयोग कर अपनी तीखी तलवार से जटायु के पंख काट डाले। जिससे वह जमीन पर गिर गया। रावण फिर सीता को विमान में बैठाकर उड़ चला। रास्ते भर सीता जी अपने गहने आभूषण फेंकतीं चली गईं। रावण ने सीता को अशोक वाटिका में नजर बंद कर लंका की ओर प्रस्थान किया। और अपने महल में चैन से जाकर बैठ गया। इसी के साथ मेला मंच पर पहले शबरी से राम सीता लक्ष्मण का मिलन हुआ। उसके बाद हनुमान जी से राम का मिलन हुआ और फिर सुग्रीव से मिलन हुआ और उसके बाद बालिका वध हुआ और उसके बाद विभीषण शरणागत हुआ और उसके बाद लंका पर विजय की रणनीति सभी ने मिल बैठकर बनाई।