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श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र का हुआ वर्णन, उमड़ी भक्तों की भीड़

श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र का हुआ वर्णन, उमड़ी भक्तों की भीड़

हरदोई के सहजनपुर के मनकामेश्वर मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित मोक्ष का प्रसंग सुनाया गया। भक्त अंतिम दिन की कथा सुनकर भाव विभोर हुए। सोमवार को हवन पूजन के साथ भंडारा आयोजित होगा।
नैमिष से पधारे कथा व्यास बजरंगी महाराज ने कृष्ण-सुदामा की मित्रता का वर्णन कर मित्रता का असल महत्व समझाया। उन्होंने कहा मित्रता में कोई राजा या रंक नही होता। सब एक समान होते है। प्रेम से बड़ी कोई दौलत नही होती। जब सुदामा द्वारिकाधीश से मिलने पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें मिलने से मना कर दिया। काफी हट करने के बाद जब द्वारापाल जाकर कहा कि प्रभु द्वार पर एक ब्राह्मण आया है और आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। सुदामा का नाम सुनते ही भगवान श्री कृष्ण नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। और सुदामा को गले लगाकर उनका आदर सत्कार किया। भगवान श्री कृष्ण ने मित्रता का धर्म निभाया। इसके अलावा राजा परीक्षित मोक्ष व अन्य प्रसंगों को भी कथा व्यास ने सुनाया। भारी संख्या में श्रोताओं ने पहुंचकर अंतिम दिन की कथा श्रवण की। इस मौके पर विमल वाजपेयी, आनंद वाजपेयी, आशीष, जीतू, लव आदि मौजूद रहे।

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