पाली। सहजनपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास बजरंगी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला व गोवर्धन पूजा की कथा का वर्णन किया।
कथा व्यास ने गोवर्धन पूजा का वर्णन करते हुए बताया यदि भगवान के भक्तों में विकार आ जाता है तो वह अपने भक्तों की रक्षा करते हुए अहंकार के अंकुर को नष्ट कर देते हैं। उन्होंने बताया एक बार इंद्र को अहंकार आ हो गया था, उनका अहंकार तोड़ने के लिए श्री कृष्ण ने उनकी पूजा को बंद करवाकर गिरिराज की पूजा कराई थी। कथा व्यास ने कहा बाल समय में श्री कृष्ण ने अनेकों लीलाएं की। बाल समय में ही श्री कृष्ण ने माता यशोदा को अपने मुख में ही सपूर्ण ब्रम्हांड के दर्शन कराए थे। अपने बाल रूप में ही प्रभु ने अपने जीवन काल में ईश्वर भक्त और संसार के सदाचारियों के विरोध में अनेक राक्षसों का वध कर उन्हें भवसागर से मुक्ति प्रदान की। इन सभी दुराचारियों ने भी अपने अंत समय में प्रभु के सानिध्य में स्पर्श और नाम का स्मरण-उच्चारण का सौभाग्य पाया था। मनुष्य को मुक्ति एक मात्र साधन ईश्वर की भक्ति ही है। सैकड़ों श्रद्धालु कथा सुनकर भाव विभोर हुए।