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नहीं रहे ज़काउल अंसारी, शोक में डूबा सण्डीला

नहीं रहे ज़काउल अंसारी, शोक में डूबा सण्डीला

हरदोई। सण्डीला की रेलवे क्रासिंग पर सुनाई पड़ने वाली आवाज़ ‘क्रासिंग बंद होने पर आगे न बढ़े बल्कि अपनी कतार में खड़े रहें’या फिर ‘ट्रैफिक नियमों का पालन करें और किसी अनहोनी से बचें’ इस तरह आवाज़ अभी भी आपके कानों में टकराती रहेगी, लेकिन अफसोस उसे साज़ देने वाली शख्सियत ज़काउल अंसारी अब नहीं रहे।

सण्डीला के मोहल्ला मलकाना के रहने वाले ज़काउल पिछले एक-डेढ़ महीने से बीमार चल रहे थे। बुधवार को उनकी सांसे थम गई। इसका पता होते ही वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी। चूंकि ज़काउल अंसारी पश्चिम की सियासत की हिमायत करने वालों में पहले गिने जाते थे। उनकी मौत की खबर सुनते ही पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल मन्नान के खेमे में ही नहीं बल्कि उनके घर में भी अजब सी बेचैनी पैदा हो गई। पूर्व ब्लाक प्रमुख अब्दुल राफे ही नहीं बल्कि उनके सभी घर वाले ज़काउल अंसारी के घर पहुंच गए। झाड़ी शाह बाबा का उर्स हो या फिर कोई और धार्मिक कार्यक्रम,ऐसी जगहों पर किसी को ज़काउल अंसारी की आवाज़ की ज़रूरत पड़ती थी।लोग कहते थे कि जहां कानों में ज़काउल की आवाज़ नहीं सुनाई पड़ती थी, वहां अजीब सा सूनापन लगता था। उन्ही जैसे लोगों के लिए किसी शायर ने शेर कहा कि ‘छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छोड़ कर,अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है’ ज़काउल अंसारी के चाहने वालों ने बुधवार की रात में उन्हें कर्बला के कब्रिस्तान में अपने हाथों से सुपुर्द-ए-खाक किया।

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