हरदोई के पाली क्षेत्र के सहजनपुर गावं स्थित मनकामेश्वर मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सती चरित्र के प्रसंग को सुनाया गया।
नैमिष धाम से पधारे कथा व्यास बजरंगी महाराज ने प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा किसी भी स्थान पर बगैर निमंत्रण जाने से पहले इस बात का स्मरण होना आवश्यक है कि उस स्थान पर आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो। अपमान जैसी किसी भी आशंका होने पर ऐसे स्थान पर जाने से परहेज करना चाहिए। फिर वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का घर क्यों न हो। कथा व्यास ने आगे सुनाया माता सती अपने पिता के घर बगैर निमंत्रण के यज्ञ में शामिल होने पहुंच गई थी। जबकि भगवान शिव ने उन्हें जाने से रोंका था, लेकिन वह शिव की बात न मानकर वहां पहुंच गई। जहां अपमानित होकर उन्हें स्वयं को अग्नि में स्वाहा होना पड़ा। उन्होंने बताया श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने मात्र से जीवन के विकार दूर होते हैं। भगवान की भक्ति ही जीवन की मुक्ति का एक मात्र साधन हैं। उन्होंने श्रष्टि वर्णन का भी प्रसंग सुनाया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा पांडाल पहुंचकर कथा श्रवण की।