सुरसा: हरदोई चिन्ता को यदि घटाना चाहते हो तो चिंतन को बढ़ाना होगा । इस संसार में भगवान के भक्त को छोड़कर सब दुखी हैं। सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, इसलिए जीवन में सत्य को धारण करना चाहिए। श्रीराम चरित मानस में कहा गया है कि धर्म न दूसर सत्य समाना, आगम निगम पुराण बखाना।
मंगलवार को सुरसा क्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ श्री बाबा दुग्धेश्वर नाथ शिव शक्ति आश्रम जगतपुरवा मंदिर पर शतचंण्डी दुर्गा महायज्ञ व श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास स्वामी रासबिहारी जी महाराज ने भक्ति की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने से मन पवित्र होता है। इससे काम, क्रोध व मोह का नाश होता है। सत्य में ही नारायण का निवास होता है। जीवन में कभी भी सत्य को नहीं छोड़ना चाहिए, तभी सफलता हांसिल होगी। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य को नहीं छोड़ना चाहिए। जीव जब संसार में जन्म लेता है तो माया-मोह में फंस कर भगवान को विस्मृत कर देता है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि मोह सकल ब्याधिनि कर मूला अर्थात मोह समस्त व्याधियों की जड़ है। इस मोह माया के नाश के लिए भक्ति और सत्य ही सबसे सशक्त माध्यम है। कलयुग में केवल सत्संग व हरिकथा के माध्यम से ही भगवान और मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।