हरदोई के सुरसा क्षेत्र में श्री बाबा दुग्धेश्वर नाथ शिव शक्ति आश्रम जगतपुरवा में श्री दुर्गा शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद देवी भागवत कथा के दूसरे दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। सभी भक्तों व यजमानों ने मां दुर्गा का विधि विधान से पूजन किया और यज्ञशाला में आहुतियां डालकर सर्व कल्याण की कामना की। यज्ञ की आरती के उपरांत परिक्रमा की गई। यज्ञाचार्य आत्मास्वरुप तिवारी ने बताया कि दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे चंडी यज्ञ बोला जाता है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस कर सकता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहां तक बोला है कि शतचंडी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव, नव ग्रह, और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है। महाभारत की कथा के माध्यम से पंडित अखिलेश पांण्डेय ने बताया कि महाभारत में भीष्म पितमय ने अपने पिता के लिए अपने सुखों का त्याग करके प्रतिज्ञा की वह जीवन भर ब्रह्मचारी बनकर रहेंगे और हस्तनापुर का दास बनकर जीवन व्यतीत करेंगे और हस्तनापुर कि रक्षा करंगे। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदा ही अपने बड़ो का आदर सम्मान करना चाहिए और उनके बचनों का पालन करना चाहिए।