सुधांशु मिश्र
हरदोई में भगवान विष्णु ने दो बार जन्म लिया। पहला वामन अवतार तो दूसरी बार नरसिंह भगवान के रूप में। पौराणिक कथाओं के अनुसार पूर्व में राक्षस राज हिरण्यकश्यप यहां का राजा था और तब हरदोई का नाम हरि-द्रोही था। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का शत्रु था लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु का उपासक था, इसलिए हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को मारना चाहता था। उसने अपनी बहन होलिका जिसे वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी की गोद मे प्रहलाद को बैठाकर मारना चाहा लेकिन होलिका जल गई और प्रहलाद बच जिस।तभी से होलिका दहन की शुरुआत हुई।बाद में भगवान विष्णु ने अपने भक्त की रक्षा की और नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया था। इसके बाद यहां का नाम हरदोई हो गया। अंग्रेजों के शासन काल में जिला मुख्यालय मल्लावां हुआ करता था जो अब हरदोई में है।
राजधानी लखनऊ से जिले की सीमा सटी हुई है इसलिए राजनीतिक क्षेत्र के लिहाज से यह जिला बेहद अहम है। जिले में कुल 8 विधानसभा हैं जो दो संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं। हरदोई सदर में 5 विधानसभा क्षेत्र एवं मिश्रिख लोकसभा सीट के अंतर्गत 3 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
हरदोई सदर लोकसभा सीट की बात करें तो यह आजादी के बाद से आज तक अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। यह सीट कभी काग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। इस सीट पर 6 बार कांग्रेस,तीन बार सपा व 4 बार भाजपा जीती है।जनसंघ प्रत्याशी ने भी इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
नरेश अग्रवाल का गढ़ है
पिछले तीन दशकों से यहां पर पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल का दबदबा है। हरदोई सदर विधानसभा सीट पर अधिकतर उनके परिवार का ही कब्जा रहा है। इस सीट पर एक बार उनके पिता श्रीशचंद अग्रवाल, 11 बार खुद नरेश अग्रवाल व 4 बार उनके पुत्र नितिन अग्रवाल जो वर्तमान में योगी सरकार में आबकारी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं जीत चुके चुके हैं। हरदोई लोकसभा सीट एक बार नरेश अग्रवाल की बनाई लोकतांत्रिक कांग्रेस के खाते में भी जा चुकी है। नरेश की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है लहर किसी पार्टी की हो लेकिन नरेश ने जिस प्रत्याशी को जिताने की ठानी उसको जीता कर ही दम लिया। नरेश अग्रवाल के लिए कहा जाता है कि वह सत्ता से दूर नहीं रह सकते इसलिए वह हर दल में रह चुके हैं और अब भाजपा में हैं। उनका भाजपा के जरिये राज्यसभा में पहुंचने का सपना था फिलहाल वह अभी तक अधूरा है।
हरदोई लोकसभा सीट पर छेदा लाल बने थे पहले सांसद
1952 में हुए चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के छेदा लाल पहली बार इस सीट से चुने गए थे। 1957 में जनसंघ के ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 1957 में हुए उप चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा जमाया और पार्टी प्रत्याशी छेदा लाल गुप्ता ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1062,1967 और 1971 में कांग्रेस के किंदर लाल ने हैट्रिक लगाई। 1977 में जनता पार्टी के परमाई लाल ने जीत जीत दर्ज की। 1980 कांग्रेस के मन्नीलाल और 1984 में कांग्रेस के किंदर लाल जीते।1989 में यहां जनता दल के परमाई लाल और 1990 में जनता दल के ही चौधरी चांद राम जीते। 1991 में भाजपा ने पहली बार इस सीट को जीता और जयप्रकाश रावत पहली बार सांसद पहुंचे। 1996 में भी जयप्रकाश रावत भाजपा प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए। 1998 में समाजवादी पार्टी का उदय हुआ और पार्टी प्रत्याशी ऊषा वर्मा पहली बार सांसद चुनी गईं। 1999 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जयप्रकाश रावत ने जीत दर्ज की। 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी की ऊषा वर्मा ने जीत दर्ज की। 2014 में भाजपा ने अंशुल वर्मा को इस सीट से उतारा और शानदार जीत दर्ज की। 2019 में भाजपा ने सिटिंग सांसद अंशुल वर्मा का टिकट काटकर जयप्रकाश रावत पर दांव लगाया और यह सफल रहा और जयप्रकाश ने जीत दर्ज की।
मौजूदा समय में भाजपा के जयप्रकाश रावत हैं सांसद
जयप्रकाश रावत ने हरदोई लोकसभा क्षेत्र से पहला चुनाव 1991 में भाजपा के टिकट पर लड़ा था और जीत दर्ज करते हुए इस सीट पर पहली बात पार्टी का झंडा लहराया था। 1996 में वे पुनः भाजपा के टिकट पर लड़े और शानदार जीत दर्ज की। 1998 में वे सपा की ऊषा वर्मा से हार गए लेकिन 1999 में वे नरेश अग्रवाल की लोकतांत्रिक कांग्रेस से लड़े और जीत दर्ज की। 2019 में भाजपा ने उन्हें अपने सिटिंग सांसद अंशुल वर्मा का टिकट काटकर उन्हें लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।
इसलिए इस सीट पर मजबूत है भाजपा
हरदोई लोकसभा क्षेत्र में जिले की पांच विधानसभा क्षेत्र सवायजपुर, शाहाबाद,हरदोई सदर,गोपामऊ(सुरक्षित) व सांडी(सुरक्षित) आते हैं। इस सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। वहीं नरेश अग्रवाल भी इस बार भाजपा के खेमे में हैं। लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी जयप्रकाश रावत को फिर मौका देगी या किसी अन्य पर दांव खेलेगी। वहीं पूर्व सांसद अंशुल वर्मा जिनका टिकट 2019 में भाजपा ने काट दिया था और तब वे सपा में चले गए थे उन्होंने ने भी ‘घर’ वापसी करते हुए पिछले दिनों भाजपा ज्वाइन की है और वह भी इस सीट से दावेदारी करेंगे। इसके अलावा भी कई नेता टिकट की रेस में हैं।