शाहाबाद हरदोई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टालरेंस की नीति पर काम करते हुए उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। राज्य सरकार व केंद्र सरकार विकसित भारत का सपना संजोए ग्रामीण विकास के लिए सैकड़ों जन कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर मूर्त रुप देने के लिए करोड़ों रूपया पानी की तरह बहा रही हैं ताकि गांव में रहने वाले लोगों को भी सुख सुविधा मुहैया कराई जा सके। लेकिन सरकारी योजनाओं को सरकार के मुलाजिम ही योजनाओं को दीमक की तरह चाटने लगे तो ग्रामीण विकास कैसे हो सकेगा ? अपने आप में बड़ा सवाल है। ग्रामीण विकास की सच्चाई जानने के लिए जब यह प्रतिनिधि विकास खण्ड शाहाबाद के गांव शरमा फत्तेपुर पहुंचा और विकास कार्यों की सच्चाई से रूबरू हुआ तो हतप्रभ रह गया। यहां ग्राम प्रधान दलित आरक्षित सीट से चुना गया है। लेकिन प्रधानी का वस्ता सवर्ण वर्ग की खूंटी टंगा दिखाई दिया। पूर्व से प्रधानी करते आ रहे, हर फन में पारंगत इस प्रतिनिधि ने गांव में सरकारी योजनाओं का जमकर बंदरबांट किया। जिसके चलते शरमा गांव व उसके अन्य मजरा विकास से वंचित रह गये। इस ग्राम पंचायत में कागजों में विकास खूब हुआ लेकिन धरातल पर काम अदृश्य स्थिति में है। उदाहरण के तौर देखा जाये तो अभिलेखों में वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंस्ट्रक्शन आफ कम्युनिटी सेनेटरी काम्प्लेक्स के नाम से काम दर्ज कराया गया, जिसकी वर्क आईडी 68312381 है। इसी वर्क आईडी में श्रवण के मकान से अलेला पुलिया तक यू टाइप नाली निर्माण होना दर्शाया गया है। जिसमें 40 हजार 83 रुपया का मटेरियल राजपूत ट्रेडर्स से खरीदा गया। जिसका भुगतान दिनांक 18 मार्च 2024 को वाउचर संख्या XVFC/2023-24/P/54 से किया गया। इसी के साथ वाउचर संख्या XVFC/2023-24/P/56 दिनांक 18 मार्च 2024 को बबलू को मजदूरी 17,250 रूपये का भुगतान होना दर्शाया गया है।इसी प्रकार वाउचर संख्या XVFC/2023-24/P/56 दिनाक 18 मार्च 2024 को मिस्त्री भुगतान अवध किशोर पुत्र मकरंद को 11,700 रुपया का भुगतान किया गया है। जबकि धरातलीय स्थिति यह है कि नाली निर्माण हुआ ही नहीं है। कच्ची नाली में पानी बहता पाया गया। शरमा गांव निवासी रंजीत सिंह पुत्र नरेंद्र सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत में कोई विकास कार्य नहीं कराया गया है। विकास कार्य के नाम पर कागजी घोड़े ही दौड़ाये गये है। इसके अलावा अभिलेखों में इस ग्राम पंचायत में पेयजल के लिए बड़े प्रयास किये जाने की बात कही गयी है। नल मरम्मत,रिबोर ,नये नये पानी के सोर्स बनाये गये है। जिसमें ग्राम निधि की बड़ी रकम खर्च करने के प्रमाण मौजूद है। लेकिन गांव निवासी संदीप सिंह ने बताया कि गोपी सिंह पुत्र जयपाल सिंह के मकान के सामने स्थापित नल पिछले 3 सालो से खराब पड़ा है। इसी प्रकार सागर पुत्र रामबक्स के मकान के सामने का नल भी तीन साल से खराब पड़ा है। ऐसे में पेयजल आपूर्ति पर लाखों का खर्च भी कागजों में होना प्रतीत होता है। सबसे मजे की बात तो यह है कि ग्रामीण विकास की निगरानी के लिए सरकार की एक लम्बी चौड़ी फौज है। गांव स्तर पर पंचायत सेक्रेटरी, ब्लाक स्तर पर एडीओ पंचायत, बीडीओ, तमाम इंजीनियर,जिला स्तरीय जिला विकास अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के अलावा मनरेगा उपायुक्त समेत तमाम अधिकारी कर्मचारी नियुक्त हैं। लेकिन ग्रामीण विकास का बंदरबांट होना अपने आप में यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आखिर इन अधिकारियों द्वारा ग्रामीण विकास के लिए किये गये खर्च की समीक्षा व धरातलीय निरीक्षण क्यों नहीं किया जाता है?
सचिव ने नहीं उठाया फोन
ग्राम पंचायत सचिव आक्रोश वर्मा को लगातार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने एक बार भी मोबाइल फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
क्या बोले बीडीओ?
इस संदर्भ में दूरभाष पर खण्ड विकास अधिकारी शाहाबाद दिनेश चंद्र शर्मा का पक्ष जाना गया तो उन्होंने बताया कि यह निर्माण कर उनके संज्ञान में नहीं है सम्बंधित कार्य की जेई से जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि विकास खण्ड क्षेत्र में विकास कार्य मानक अनुसार ही करायें जायेगे। गैरमानक कार्य कोई भी नहीं करा पायेगा।