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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ राष्ट्रहित में उठाया गया आवश्यक और दूरदर्शी कदम है: नितिन अग्रवाल

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ राष्ट्रहित में उठाया गया आवश्यक और दूरदर्शी कदम है: नितिन अग्रवाल

हरदोई।’एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को सर्व समाज तक पहुंचाने और विषय के प्रति समर्थन जुटाने के उद्देश्य से 156 विधान सभा के महेंद्र प्लाज़ा होटल के सभागार में प्रबुद्ध वर्ग समागम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नितिन अग्रवाल उपस्थित रहे, साथ ही बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन, व्यापारी, अधिवक्ता, शिक्षक, चिकित्सक व बुद्धिजीवी वर्ग उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम में मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि पहले देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुआ करते थे, लेकिन बाद में कांग्रेस की सत्ता लोलुपता ने संविधान के अनुच्छेदों को तोड़ मरोड़कर इस प्रणाली को खंडित कर दिया। कहा, यह विषय केवल किसी एक सत्ताधारी दल का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में उठाया गया आवश्यक और दूरदर्शी कदम है। इसके लाभ से देश आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसित होगा। एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए पूरे देश में सहमति बनानी पड़ेगी, इस सहमति को बनाने में प्रबुद्ध वर्ग को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने से शासन को भारी राजस्व का भार सहन करना पड़ता है और बार-बार लगने वाली आचार संहिता के कारण विकास कार्य बाधित होते हैं। एक राष्ट्र एक चुनाव हो जाने से देश की कई बड़ी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। केंद्र सरकार का प्रयास है कि सबकी सहमति से एक राष्ट्र में एक चुनाव हो इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।

कहा कि, एक साथ चुनाव होने से संसाधनों की बचत होगी और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और अधिक सशक्त बनेगी। यह बदलाव भारत को मजबूती देने वाला साबित होगा। इस व्यवस्था से न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि जनता को भी एक स्पष्ट नीति और नेतृत्व मिलेगा। कहा कि बार-बार चुनाव का आयोजन राजनीतिक भ्रष्टाचार का श्रोत बनता हैं क्योंकि प्रत्येक चुनाव के लिये बड़ी मात्रा में धन जुटाने की आवश्यकता होती है। एक साथ चुनाव कराने से राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च में व्यापक कमी आ सकती है, जिससे बार-बार धन जुटाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इससे आम लोगों और व्यापारिक समुदाय पर बार-बार चुनावी चंदा देने का दबाव भी कम हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1951-52 में जब लोकसभा के प्रथम चुनाव आयोजित हुए तो इसमें 53 राजनीतिक दलों और लगभग 1874 प्रत्याशियों ने भाग लिया तथा चुनाव का व्यय मात्र 11 करोड़ रुपए रहा। जबकि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार 2019 के आम चुनाव में लगभग 60,000 करोड़ रुपए खर्च हुए।  इस खर्च में पंचायती, नगर पालिका, सहकारी समिति आदि के चुनाव खर्च शामिल नहीं है। आर्थिक दृष्टिकोण से चिंतनीय विषय है, यदि एक बार में सारे चुनाव हो जाए तो समय और पैसा दोनों देश और समाज के उत्थान में सदुपयोग हो सकेगा। बुद्धिजीवी वर्ग से डॉ जे के वर्मा,  पूर्व जिला अध्यक्ष रामौतार शुक्ल एवं व्यापारी नेता कमलेश गुप्ता ने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का संचालन आईटी संयोजक सौरभ सिंह गौर ने किया। मुख्य रूप से उपस्थित रहे नगर अध्यक्ष मुदित बाजपेई,  डॉ सी पी कटियार, डॉ अजय सिंह, डॉ नवीन सक्सेना, डॉ ए पी सिंह, डॉ अमरजीत आजमानी, डॉ तिरुपति आनंद, रीना गुप्ता, विनिमा सिंह, डॉ सौरभ दयाल, अनुराधा मिश्र, अविनाश मिश्रा, अंकित पांडे, शुभम् लोहिया, पंकज सिंह, रानू गुप्ता, मुनि मिश्र, आशीष शुक्ला, अनुराग श्रीवास्तव,

सुधांशु मिश्र

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