शाहाबाद हरदोई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जन कल्याण के लिए रात दिन काम करने में जुटे हुए हैं लेकिन उनकी सरकारी मशीनरी “उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के सपने को धूल धूसरित करने में लगी है। ऐसा ही पीडब्ल्यूडी विभाग की घोर लापरवाही का मामला शाहाबाद पाली मार्ग पर आगमपुर के पास बाढ़ में बही पुलिया पर देखने में आया है।14 जुलाई 2024 में गर्रा नदी में आयी भयंकर बाढ से शाहाबाद पाली मार्ग पर बनी पुलिया पानी के बहाव के साथ बह गयी। जिस कारण क्षेत्र के सैकडो गाँव का शाहाबाद तहसील मुख्यालय से महीनों सम्पर्क टूटा रहा। संपर्क टूट जाने के कारण पढ़ने वाले बच्चे महीनों स्कूल नहीं जा सके। क्षेत्र वासियों की इस बड़ी समस्या को जब मीडिया ने उठाया तो कुम्भकरणी नींद से जागे पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी जागे। समस्या को देखते हुए क्षेत्रीय विधायक व उप्र सरकार की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने मौका मुआयना कर तत्काल मार्ग सँचालित कराने के निर्देश पीडब्लूडी विभाग के अधीक्षण अभियँता को दिये। पीडब्लूडी विभाग ने जैसे तैसे टूटी पुलिया पर वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करते हुये पैंटून पुल बनाकर मार्ग पर आवागमन तो शुरु करा दिया लेकिन बड़े वाहन फिर भी न चल सके। इसके बाद डीएससीएल रुपापुर मे गन्ना पेराई सत्र शुरु होने पर किसानों को गन्ना पहुचाने में परेशानी होने पर स्वयं पुलिया पर पश्चिम तरफ मिट्टी डालकर वैकल्पिक मार्ग बनाना शुरु किया। इसी बीच पीडब्लूडी विभाग फिर अपनी बदनामी को महसूस कर उसने स्वय अधबने मार्ग पर काम शुरु करा कर ह्यूम पाइप डालकर ऊपर से खडँजा कार्य करा दिया। खडंजा कार्य हो जाने से छोटे बडे वाहनों को निकलने मे सुविधा तो अवश्य हो गयी। वैकल्पिक मार्ग बन जाने के बाद पीडब्लूडी विभाग द्वारा पैटून पुल हटा लेने से पानी बहाब से बना खड्डा खुल गया। विभाग ने सडक के दोनों ओर सँकेतक न लगाकर खुला छोड दिया। जिसकी परिणीति यह हुई कि गत 15 मार्च को खड्डे मे गिरकर दो बाइक सवारों की दर्दनांक मौत हो गयी। पीडब्लूडी विभाग की लापरवाही के चलते गत जुलाई 2024 से लेकर अब तक करीब 9 माह बीतने को आये है लेकिन टूटी पुलिया पर कोई कार्य शुरु नही कराया जा सका है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार जनता के लिये दिन रात तत्पर रहने का दावा करते नही थक रही है। गत सप्ताह भागीरथी ग्राम स्वराज नाम की एक सामाजिक सँस्था के संस्थापक अखिलेश शुक्ल के नेतृव्व मे सँगठन के पदाधिकारियो ने सत्याग्रह कर टूटी पुलिया बनाने की माँग की। फिलहाल जो भी लेकिन 2 माह बाद आने वाली बरसात में एक बार फिर लोगों को पीडब्लूडी विभाग की लापरवाही मुसीबत का सबब बन सकती है। लोक निर्माण विभाग की कछुआ चाल देखकर तो यह निश्चित रुप से कहा जा सकता है कि विभाग इस पुलिया निर्माण में कोई रूचि लेता नही दिखाई दे रहा है। पुलिया निर्माण के सँदर्भ मे पीडब्लूडी विभाग के अभियंता सँतोष कुमार रावत से पूछा गया तो उन्होने बताया कि पुलिया निर्माण का स्टीमेट बनाकर 10 अप्रैल से पहले भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद पुलिया का निर्माण कराया जायेगा।
नौ माह बीत जाने के बाद भी नहीं बन सकी पुलिया
