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विजय हमेशा धर्म की होती है: कथा व्यास

विजय हमेशा धर्म की होती है: कथा व्यास

हरदोई। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार  को सत्य व्याख्या प्रादुर्भाव का प्रवचन किया गया। जिसमें संत डॉ. सत्येंद्र स्वरूप शास्त्री ने नारद,भीष्म स्तुति,परीक्षित की कथा सुनाई। प्रात: से मध्य कालीन वेला तक सभी देवताओं का आवाहन,पूजन अर्चन वंदन किया गया। जिसमें मुख्य यजमान डॉ. अरुण कुमार मिश्र व डॉ. शिक्षा मिश्रा और राजीव मिश्र व प्रिया मिश्रा द्वारा वैदिक विद्वानों का वंदन किया गया। 

सांय कालीन कथा में जबलपुर मध्य प्रदेश संस्कार धानी के सिद्ध संत डॉ. सत्येंद्र स्वरूप शास्त्री ने प्रवचन किया। जिसमें मुख्य यजमान ने संत, व्यास गद्दी व मां सती शिरोमणि का पूजन अर्चन वंदन किया। आज के पावन प्रसंग में संत श्री शास्त्री महाराज ने नारद के पूर्व जन्म की कथा, भीष्म स्तुति, परीक्षित जन्म की कथा, कलि आगमन की कथा का वर्णन किया। जिसमें सैकड़ो की संख्या में आए भक्तों ने कथा का अनुश्रवण किया। जिसके तत्पश्चात शास्त्री जी ने सृष्टि वर्णन की कथा में स्वयंभू मनु अस शतरूपा, जिसने भई नर सृष्टि अनूपा के आधार पर मनुष्य के उत्पत्ति की कथा सुनाई। जिसमें उक्त उद्गार के साथ परम धर्म की व्याख्या करते हुए भक्तों से कहा कि पांडवों के पक्ष में जो धर्म था धर्मराज युधिष्ठिर के रूप में पांडवों ने उनकी बात मानी इसीलिए विजय हुई ,और कौरवों ने धर्म अर्थात विदुर को निकाल दिया इसलिए उनकी पराजय हुई तो जिसको विजय पाना है तो उसको धर्म की तो माननी पड़ेगी।

श्रीमद् भागवत कथा के रसपान मुख्य रूप से मुकेश बाजपेई, रेनू बापजपेई,रेखा बाजपेई,प्रसून बाजपेई, नितिन बाजपेई, आनंद मिश्रा, कौशल कुमार सिंह, कालिंद्री सिंह, शिखा सिंह, अशोक मिश्रा आदि भक्तगण मौजूद रहे।

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