हरदोई के एसपी नीरज कुमार जादौन ने सोमवार को उनसे मिलने आए पीड़िता को हुई तकलीफ के लिए माफी मांगकर फिर सुर्खियों में हैं। बतौर एसपी 14 जुलाई हरदोई का पदभार संभालने वाले श्री जादौन 2015 बैच के आईपीएस हैं। मूलतः जैलौं के नौरेजपुर गांव रहे वाले श्री जादौन का जन्म 1 जनवरी 1983 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता नरेंद्र सिंह जादौन किसान थे।
नीरज कुमार जादौन की प्रारंभिक शिक्षा कानपुर में हुई। वर्ष 2005 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। इसके बाद कुछ समय तक उन्होंने नोएडा की एक निजी कंपनी में कार्य किया फिर बेंगलूर में एक बड़ी विदेशी टेलीकॉम कंपनी में उनकी जॉब लग गयी जहां उनका सालाना पैकेज करीब 22 लाख का था।
पिता की हत्या के बाद आईपीएस बनने की ठानी
6 दिसंबर 2008 को किसी जमीनी विवाद के कारण उनके पिता नरेंद्र सिंह जादौन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी उस समय नीरज 26 के थे। परिवार में 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज थे इसलिए परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गयी। पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पुलिस का कोई सहयोग उन्हें नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने टेलीकॉम कंपनी छोड़ दी और IPS बनने की ठान ली। वर्ष 2015 बैच के आईपीएस बने।
जहां रहे चर्चा में रहे
अपनी तेज तर्रार कार्यशैली के चलते श्री जादौन हमेशा चर्चा में रहे। एक तरफ जहां पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए सजग रहे वहीं पुलिसकर्मियों की गलतियों को भी उन्होंने कभी माफ नहीं किया। बिजनोर में उन्होंने 140 से अधिक पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया था। बताया जाता है कि दिल्ली बॉर्डर के पास जब हिंसा हुई थी तब नीरज ने अपनी जान की परवाह किये बगैर कई लोगों की जान बचाई थी।
हरदोई में की वन डे वन प्रॉब्लम की शुरुआत
हरदोई में कार्यभार ग्रहण करने के बाद श्री जादौन ने पीड़ितों त्वरित न्याय दिलाने के लिए ऑफिस व थानों में शिकायत लेकर आने वाले फरियादियों के लिए पर्ची सिस्टम की शुरुआत की। सभी थानों में वन डे वन प्रॉब्लम की शुरुआत भी की जिसमें किसी भी पीड़ित की एक समस्या का थाना प्रभारियों को पूर्णतया निस्तारण करना होता है। वहीं हरदोई के करीब 45 पुलिसकर्मियों को विभिन्न आरोपों में निलंबित किया जिसके चलते थानों में पीड़ितों की रिपोर्ट तुरन्त दर्ज होने लगीं।खुद श्री जादौन रोज दस बजे दो बजे वे ऑफिस में बैठकर जनसुनवाई करते हैं।