हरदोई।शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में बुधवार को गांधी जी एवं शास्त्री जी की जयंती के साथ-साथ कायाकल्पकेन्द्रम् का सत्ताईसवां स्थापना दिवस मनाया गया।
कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र तथा समस्त सदस्यों ने ध्वज फहराने के साथ गांधी एवं शास्त्री जी को याद किया।
नेचरोपैथ डॉ० मिश्र ने कहा कि गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। पतंजलि योग दर्शन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अहिंसा, सत्य अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह; ये पांच यम हैं। इनमें से गांधी जी ने दो (अहिंसा और सत्य) को चुना। उन्होंने कहा कि नि:संदेह गांधी जी सत्य और अहिंसा के उपासक थे पर उन्हें सिद्धि प्राप्त नहीं हुई थी। कहा यदि सत्य-अहिंसा सिद्ध हो जाती तो हत्यारा उनकी हत्या नहीं कर पाता।
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने ऋषियों के आश्रम की शोभा का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि ‘बयरु बिहाइ चरहिं एक संगा। जहँ तहँ मनहुँ सेन चतुरंगा।। कहा ऋषि के अहिंसक प्रभाव से हिंसक पशु बैर त्याग कर एक साथ विचरण कर रहे हैं। उन्होंने महात्मा बुद्ध और अंगुलिमाल का उदाहरण दिया।
डॉक्टर मिश्र ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शास्त्री जी कृषि और राष्ट्रीय सुरक्षा के सजग प्रहरी थे। उन्होंने अमेरिका से अपमानपूर्वक मिलने वाले गेहूं स्वीकार नहीं किए और जनता को संदेश दिया कि अपमान के गेहूं की रोटी खाने के बजाय सम्मानपूर्वक मर जाना अच्छा है। इसके साथ जनता से गेहूं का उत्पादन करने तथा सप्ताह में एक उपवास करने की अपील की। कहा वर्तमान में ऐसे आदर्श नेताओं की आवश्यकता है।डॉ० राजेश ने कहा कि आज कायाकल्पकेन्द्रम् का २७वाँ स्थापना दिवस है। कहा दो अक्टूबर अट्ठानबे को इसकी स्थापना हुई थी।डॉ० श्रुति दिलीरे, डॉ० अभिषेक पाण्डेय, डॉ० सरल कुमार, पुनीत गुप्ता, शिवकुमार, दीपाली, अनामिका, ज्योति गुप्ता मौजूद रहे।
स्थापना दिवस के साथ मनायी गयी गांधी – शास्त्री जयंती
