हरदोई
हरदोई में गांधी तिराहे से सोल्जर बोर्ड चौराहे तक जिला प्रशासन का बुलडोजर पहुंचा और साथ में प्रशासनिक अमला भी।भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत की लेकिन अतिक्रमण हटाओ अभियान के चौथे दिन प्रशासन का लहजा कुछ बदला हुआ नजर आया। अतिक्रमण हटाओ अभियान के पहले और दूसरे दिन जिस तरह से प्रशासन ने कार्रवाई की उससे लग रहा था कि इस बार शहर का कोई भी बड़े से बड़ा प्रतिष्ठान अतिक्रमण की जद से बच नहीं पाएगा लेकिन अभियान के चौथे दिन बुलडोजर तो तैयार था लेकिन अधिकारियों ने व्यापारियों को मोहलत दे दी। गांधी तिराहे से लेकर सोल्जर बोर्ड चौराहे तक कई बड़े प्रतिष्ठान पड़ते हैं लिहाजा प्रतिष्ठान बड़े हैं तो पहुंच भी बड़ी होगी जिसके चलते ऐसा माना जा रहा है कि 4 सितंबर को चले अतिक्रमण हटाओ अभियान में अधिकारियों ने नम्रता बरत दी। हालांकि इसी नम्रता को लेकर जिला प्रशासन से लेकर नगर पालिका के अधिकारी सवालों के घेरे में आ जाते हैं।आखिर प्रशासनिक अधिकारियों की नम्रता छोटे दुकानदारों ठेलों वालों को लेकर कहाँ चली जाती है जब अतिक्रमण हटाओ अभियान छोटे दुकानदारों और ठेले वालों पर होना होता है तो कोई भी मोहलत और मरोबत प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिखाते हैं यहां तक की कोई भी बात छोटे दुकानदारों और ठेले वालों की अधिकारी नहीं सुनते हैं लेकिन जब यही बात बड़े प्रतिष्ठा की आती है तो अधिकारी का अतिक्रमण को लेकर रवैया भी अचानक बदल जाता है।
सवाल यह जब पहले दी गई सूचना तो फिर मोहलत क्यों
बुधवार को सुबह लगभग 11:00 बजे से शुरू हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान में नगर पालिका के ईओ विनोद कुमार सोलंकी नगर मजिस्ट्रेट एसके त्रिवेदी लाव लश्कर के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन द्वारा बुधवार को जिस मार्ग का चयन किया था उस मार्ग पर इलेक्ट्रॉनिक शोरूम के काफी बड़े प्रतिष्ठान है। इन प्रतिष्ठानों का नंबर आते ही अभियान की शुरुआत में ही नगर मजिस्ट्रेट के फोन की घंटी बजती सुनाई देनी लगी। नगर मजिस्ट्रेट के लगातार बज रहे फोन और उनके चेहरे से साफ समझा जा सकता था कि उनके मोबाइल पर आने वाले फोन अतिक्रमण को लेकर हैं। लगातार बज रहे फोनों के बाद इस मार्ग पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के स्थान पर मोहलत दो अभियान चला।व्यापारियों को जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा 2 से 3 दिन की मोहलत दे दी गई है जिसमें उनको स्वयं से अतिक्रमण हटाने को कहा गया है। व्यापारियों द्वारा नगर मजिस्ट्रेट से स्वयं से अतिक्रमण को हटा लेने की मांग की गई थी जिसको नगर मजिस्ट्रेट है मान लिया। अब सवाल जिला प्रशासन से यह है कि जब जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत होने से लगभग एक सप्ताह से अधिक से अतिक्रमण हटा लेने को लेकर प्रचार प्रसार कराया जा रहा था फिर भी इन बड़े प्रतिष्ठानों द्वारा अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया और आखिर नगर मजिस्ट्रेट द्वारा इन्हें मोहलत क्यों दी गई जबकि 1 सितंबर को भाजपा नेता गंगेश पाठक द्वारा मोहलत मांगी गई थी लेकिन उस दिन नगर मजिस्ट्रेट के तेवर से यह साफ प्रतीत हो रहा था कि इस बार शहर अतिक्रमण की जद से मुक्त हो जाएगा।इस बार ज़िलाधिकारी के निर्देश पर चले अभियान में कोई भेदभाव नहीं होगा और ना ही कोई राजनीतिक दवाब काम आएगा लेकिन बुधवार को ऐसा लगा कि हरदोई में राजनीतिक दबाव व प्रशासनिक दखल के चलते अतिक्रमण हटाओ अभियान जल्द ही बंद हो जाएगा या फिर यह अभियान सिर्फ गरीब और मध्यम वर्ग के व्यापारियों तक सीमित रहेगा।