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पॉलीथीन नहीं, थैला संस्कृति अपनायें: डा मिश्र

पॉलीथीन नहीं, थैला संस्कृति अपनायें: डा मिश्र

हरदोई।अधिकांश लोग बिना थैले के बाजार के लिए निकलते हैं। व्यापारी अपनी वस्तुओं को बेचना चाहता है। वह हमें निराश नहीं करता और प्लास्टिक की थैली दे देता है। यह थैली सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी होती है, जो पर्यावरण के साथ-साथ सम्पूर्ण जीवों के नुकसान का कारण बनती है।

‘अन्तर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस’ पर कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व प्रख्यात् नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने कहा कि यह दिवस तीन जुलाई को मनाया जाता है, जिसका प्रारम्भ २००९ में हुआ था। उन्होंने कहा कि वे ‘पॉलीथीन नहीं, थैला संस्कृति अपनायें’प को लेकर अठारह वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने इसको लेकर दिल्ली में राजघाट से २००६ में ‘स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जन चेतना यात्रा’ प्रारम्भ की थी।

गाँधी जी की समाधि स्थल पर यात्रा का शुभारम्भ पद्मश्री प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत ने किया था। दिल्ली से चलकर उत्तराखण्ड होते हुए हरदोई (उ.प्र.) में यात्रा सम्पन्न हुई थी। समापन अवसर पर बरेली के तत्कालीन मण्डलायुक्त अमिय कृष्ण चतुर्वेदी, हरदोई के जिलाधिकारी के. राम मोहन राव सहित कई अधिकारी पत्रकार व गणमान्य व्यक्ति एवं समाजसेवी उपस्थित थे। कहा आकाशवाणी सहित हर जगह मीडिया कवरेज हुआ था। शाहजहांपुर में डाक बंगले में हरदोई के सीनियर रिपोर्टर बृजेश ‘कबीर’ ने इंटरव्यू लिया था।

डॉ० मिश्र ने बताया कि उन्होंने २००६ से पॉलीथीन का उपयोग नहीं किया और तभी से विभिन्न गोष्ठियों और यात्राओं के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहे हैं। कहा प्रबुद्ध नागरिकों को इस विषय को गम्भीरता से लेना होगा, तो बात बनेगी।

सुधांशु मिश्र

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