हरदोई। धरा को हरा भरा कृषक और श्रमिक बनाते हैं। सरकारी तंत्र लक्ष्य पाने के लिए कोई भी पौधा रोप देता है। जबकि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे मित्र वृक्षों का पौधरोपण बहुत कम किया जाता है।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता की थीम के साथ इस बार ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर हमारी भूमि-हमारा भविष्य के नारे के साथ हरिशंकरी सहित कई पौधे रोपित किए गये। कायाकल्प के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने कहा कि पीपल, बरगद व पाकड़ के संयुक्त रोपण को हरिशंकरी कहते हैं। उन्होंने कहा कि जो पौधा लगाकर मरने के लिए छोड़ देगा, उसे सुख, शान्ति नहीं मिल सकती। कहा पौधे स्थावर हैं और हम जंगम हैं। हमारी तरह पौधों में भी आत्मा है। कहा अपने बच्चे की तरह पौधों की देखभाल करने से धरा हरी-भरी होगी।
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक बाग का संरक्षण किया। जिले में कई पंचवटी लगाईं। कायाकल्प परिसर में जिले की पहली हरी-भरी नवग्रह वाटिका बनाई, जिसे देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। कहा इतना करने के बाद वे बोलने के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा पौधा लगाकर लावारिस छोड़ने वालों को प्रकृति कठोर दण्ड देती है।
वरिष्ठ होम्योपैथ डॉ० सरल कुमार की इच्छा थी कि कायाकल्प में हरिशंकरी रोपित की जाये। उन्होंने कहा कि बरगद, पीपल आदि सर्वश्रेष्ठ वृक्ष हैं, इसीलिए इन्हें पूजा जाता है। कहा सर्वाधिक ऑक्सीजन भी इनसे मिलती है और हमारा राष्ट्रीय वृक्ष भी बरगद है। उन्होंने अपने-अपने नाम पर हरिशंकरी लगाने की अपील की। कहा इससे सभी का भला होगा। पतंजलि प्रभारी हरिवंश सिंह ने कहा कि अपने बच्चे की तरह पौधों की देखभाल करने से पौधे बड़े होकर वृक्ष का रूप लेते हैं। डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ अभिषेक पाण्डेय, अनामिका, आशाराम ने हरसिंगार, कदम्ब व तुलसी के पौधे रोपे।