Graminsaharalive

Top News

84 कोसीय परिक्रमा का साखिन में हुआ जोरदार स्वागत, सीताराम के जयकारों से गूंज उठा रामादल 

84 कोसीय परिक्रमा का साखिन में हुआ जोरदार स्वागत, सीताराम के जयकारों से गूंज उठा रामादल 

हरदोई।  84 कोसीय परिक्रमा का पांचवा पड़ाव टड़ियावां स्थित साखिन था। जहां आज प्रातः साधु संतों का जत्था सीताराम के उद्घोष के साथ साखिन पहुंचा। भोर होने से पहले ही साधु संतों के अखाड़े, रथ, पालकी, वाहन साखीन पहुंचने शुरू हो गए थे। हजारों की संख्या में संत महंतों की टोलियां बच्चे बुजुर्ग महिला सभी श्रद्धालुओं ने सीता राम नाम का जयकारा लगाते हुए पड़ाव पर विश्राम के लिए तंबू आदि लगाकर अपने आसान लगा दिए हैं।  84 कोसीय परिक्रमा के अध्यक्ष पहला आश्रम नैमिष के पीठाधीश्वर डंका वाले बाबा महंत नारायण दास उर्फ नन्हकू दास की आवाज के साथ शुरू हुई। यहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से आए साधु संत शामिल होते हैं। परिक्रमा मेला रामादल के नाम से विख्यात है। देश के कोने कोने से आए संत अपनी अपनी वेशभूषा से आकर्षण का केंद्र बनते हैं।  इस पड़ाव क्षेत्र में एक विशाल शिव मंदिर है जिसे शंखेश्वर नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी कारण इस क्षेत्र को साखिन का पड़ाव कहते हैं।

सकंद पुराण में हैं,परिक्रमा का महत्व

सकंद पुराण में 84 कोशीय परिक्रमा का उल्लेख मिलता हैं। परिक्रमा यात्रा मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर उसे 84 लाख योनियों के जन्म मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता हैं, पुराण के अनुसार यह यात्रा सबसे पहले भगवान विष्णु, ब्रह्मा, महेश ने की थी। यह भी माना जाता है कि श्रीराम ने भी ब्रह्मदेव मुक्ति पाने के लिए अयोध्या वासियों के साथ नैमिष से होकर इन्हीं क्षेत्रों से परिक्रमा की थी। इसी वजह से परिक्रमा को रामादल कहा जाता हैं। माना जाता है कि जो श्रद्धालु पूरी परिक्रमा में भाग नही ले पाते हैं वह आखिरी के 05 दिन मिश्रिख तीर्थ में परिक्रमा में भागीदारी सुनिश्चित पुण्य अर्जित करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!