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84 कोसीय परिक्रमा हरैया पहुंची,हजारों भक्तों ने डेरा जमाया

84 कोसीय परिक्रमा हरैया पहुंची,हजारों भक्तों ने डेरा जमाया

रिपोर्ट: रवि मिश्र ‘रवि’

हरदोई जनपद सीतापुर के मिश्रिख तीर्थ से शुरू हुई 84 कोसी परिक्रमा ने आज हरदोई जनपद में प्रवेश किया और जनपद के पहले पड़ाव हरैया में परिक्रमार्थियों ने डेरा जमा लिया। बागों व खेतों में दूर-दूर तक परिक्रमार्थियों की टोलियां नजर आ रही हैं। पॉलीथिन व तिरपाल से कुटिया बनाकर परिक्रमार्थियों ने मानों एक धर्मनगरी आबाद कर दी। 

अपने डेरे पर महिला श्रद्धालु भोजन की व्यवस्था करने में व्यस्त दिखीं, तो उनके साथ आए पुरुष श्रद्धालु लकड़ी व पानी का इंतजाम करने में जुट गए। दोपहर करीब दो बजे पहुंचे पहला आश्रम के महंत नारायण दास व सचिव संतोष दास खाकी का एसडीएम संडीला तान्या सिंह , सीओ संडीला शिल्पा कुमारी , कोतवाल दिलेश सिंह , बेनीगंज ईओ विजेता ने फूल मालाओं के साथ स्वागत करते हुए ढोल नगाड़े बजाए । 

पहले पड़ाव पर आबाद इस अस्थाई धर्मनगरी में देश के कई प्रांतों और सरहद का फासला मिटाकर परिक्रमा करने आए नेपाली श्रद्धालुओं का डेरा अद्भुत छटा बिखेर रहा था। मध्यप्रदेश के भिंड जिले से आए महेंद्र कुरैत के साथ 40 श्रद्धालुओं की टोली थी। इनके डेरे में कोई भजन-कीर्तन में लीन दिखा तो कोई धर्मनगरी में बिखर रहे भक्ति के अनगिनत रंगों को निहार कर निहाल था।

डंका बजाने वाले नारायण दास 16वें महंत

पहला आश्रम के महंत नारायण दास बताते हैं, कि वे डंका बजाने वाले 16वें महंत है। इससे पहले गुरु देवीदास, गोपालदास, प्रीतम दास, गोवेर्धन दास, लालदास, श्याम दास, गिरिवर दास, सूर्य प्रसाद दास, गोविंद दास, भरत दास आदि महंत डंका बजा चुके हैं। परिक्रमा की परंपरा के अनुसार पहला आश्रम का महंत ही डंका बजाता है।

पहले पड़ाव में यह हैं पौराणिक व दर्शनीय स्थल

यहां प्राचीन द्वारिकाधीश मंदिर है। मान्यता है, कि भगवान श्रीकृष्ण का यहां आगमन हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण के कुलगुरु महर्षि गर्ग का आश्रम रामगढ़ में था। अपने कुलगुरु के दर्शन के लिए द्वारिकाधीश यहां आए थे। चूंकि कुलगुरु के आश्रम में वाहन से नहीं जाया जाता है। इसलिए कोरौना में डेरा डालकर यहां से पैदल ही गुरु आश्रम गए थे । 

राम की लगन में नही थकता तन और मन 

यहां अरुंधती कूप बना है। इसका उल्लेख अग्नि पुराण में मिलता है। यहां पर अहिल्या तालाब भी है। यहां पर यज्ञ वाराह कूप है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के श्लोक 103 में किया गया है। परिक्रमार्थियों की सुविधा के लिए वाराह कूप तक जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाया है । 

परिक्रमा में शामिल हर एक श्रद्धालु की जुबान पर एक ही शब्द था की भगवान राम से लगन लगाने के बाद अब तन नही थकता , 5 किलोमीटर में बड़ी धर्म नगरी में  हो रही भागवत कथाएं व संतों के उपदेश लोग सुनने में जुटे हुए थे , कोई संतों के आगे मत्था टेकता तो कोई सेवा करने में जुट जाता ।

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