हरदोई। यज्ञोपवीत संस्कार को लड़कों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हरदोई में लड़की का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। सुनकर आश्चर्य जरूर हो रहा होगा लेकिन यह सच है कि कायाकल्पकेन्द्रम् में शनिवार को माघी पूर्णिमा पर एक बेटी का उपनयन संस्कार किया गया।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ० राजेश मिश्र ने कहा कि वैदिक काल से ही महिलाओं को पुरुषों के समान बराबरी का अधिकार प्राप्त है। आज जब पूरे भारत में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने की चर्चा चल रही है तो फिर महिलाएं उपनयन संस्कार प्रक्रिया से दूर कैसे रह सकती हैं।
कायाकल्पकेन्द्रम् स्थित यज्ञशाला में डॉ० श्रुति दिलीरे का उपनयन संस्कार किया गया। श्रुति नित्य दोनों समय संध्या व हवन करती हैं। श्रुति की जनेऊ धारण करने की इच्छा थी। इसलिए यज्ञोपवीत संस्कार किया गया।
डॉ राजेश मिश्र ने कहा कि उन्होंने देश के ख्यातिप्राप्त कन्या गुरुकुल चोटीपुरा में दो बार जाकर व्याख्यान दिये। वहां की ब्रह्मचारिणियां यज्ञोपवीत धारण करती हैं और नित्य यज्ञ करती हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कन्या गुरुकुलों के बारे में भी उन्हें जानकारी है कि वहां बेटियों का यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है।
यज्ञोपवीत धारण करने से ओज-तेज बढ़ता है
डॉ मिश्र ने कहा कि ब्रह्मचर्येण कन्या युवानं विन्दते पतिम् ॥ अथर्ववेदः ११। ५। १८ ॥ अर्थात् पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपरान्त, कन्या एक युवा पति को स्वीकार करे। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार से सर्वांगीण उन्नति होती है। श्रीओम पाण्डेय ने कहा कि यह अच्छी परम्परा है। कहा कि वे बेटियों के यज्ञोपवीत संस्कार को लेकर बहुत पहले से चिन्तन कर रहे थे। डॉ अभिषेक पाण्डेय, शिवकुमार, दीपाली उपस्थित रहे।