हरदोई में नाबालिग बालिका को बंदी बना कर उससे दुष्कर्म करने से सम्बन्धित मुकदमे में 28 वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीशकी अदालत ने पुलिस विवेचक सहित चार अभियुक्तों को सजा सुनाई गई है। जज ने चारों को गलत विवेचना करने और पीड़िता के पिता के ही विरुद्ध आरोपपत्र दायर करने का दोषी पाया।अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार सिंह ने चारों अभियुक्तों को अलग-अलग दिनों के कारावास की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमलेंद्र सिंह के अनुसार वर्ष 1996 में पीड़िता के पिता द्वारा अभियुक्त राजाराम के विरुद्ध 25 अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि एक दिन पहले दिन में 12 बजे उसकी 13 वर्षीय पुत्री पेशाब करने के लिए गई थी और वापस नही लौटी थी। जब उसे ढूंढा तो आवाज सुनाई देने पर उसने राजाराम के मकान का दरवाजा खुलवाया तो लड़की को वहां बैठा पाया। हालांकि इस पर राजाराम उल्टे उसे धमकाने लगा और इसी बीच लड़की को भगा दिया गया।
इस मामले में पुलिस ने 29 अगस्त को लड़की की बरामदगी की और विवेचक ने धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान को आधार पर विवेचक कुलपतिराम ने पीड़िता के पिता के खिलाफ ही दुष्कर्म करने का आरोपपत्र प्रेषित कर दिया।
पीड़िता ने दिया बयान
प्रकरण अपर सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार सिंह की अदालत में पंहुचने पर पीड़िता ने न्यायालय में बयान दिया जिसमें उसने बताया कि विवेचक कुलपतिराम ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया, बल्कि डरा धमका कर उसको अपने ही पिता के खिलाफ दुष्कर्म करने संबंधी बयान देने पर विवश किया। पीड़िता के द्वारा न्यायालय में दिए गए बयान के आधार पर विवेचक कुलपतिराम, राजाराम व रामचंद्र पुत्र रामलड़ैते निवासी ग्राम अंडौवा थाना मझिला , बाबूराम अवधेश सिंह व रामलड़ैते सहित अन्य को तलब किया गया हालांकि दौरान मुकदमा तीन अभियुक्तों की मृत्यु हो गई। इस मुकदमे में दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में अभियुक्त राजाराम तथा विवेचक दरोगा कुलपतिराम को अर्थदंड के साथ 10 वर्ष के कारावास की सजा दी, जबकि अभियुक्त बाबूराम एवं रामचन्द्र को एक हजार रूपए अर्थदंड व 9 माह के कारावास की सजा दी।
विवेचना में दुष्कर्मी दरोगा ने पलट दी थी कहानी
मुकदमे में विवेचक कुलपतिराम ने न केवल पीड़िता से दुष्कर्म किया बल्कि आश्चर्यजनक रूप से यह कहानी बनाई कि पीड़िता की मां का अभियुक्त राजाराम से अवैध संबंध था, जो उसके पिता की भी जानकारी में था, पीड़िता को इस बात ज्ञान होने पर जब उसने पिता को बताया तो पिता द्वारा भी उसके साथ दुष्कर्म किया गया और यही बयान मजिस्ट्रेट के सामने देने के लिए भी विवश किया गया। हालांकि बाद में सत्र न्यायालय में पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान को नकारते हुए कहा कि उसे यह बयान देने के लिए मजबूर किया गया था। पीड़िता ने न्यायालय में दरोगा कुलपतिराम द्वारा भी अनेक बार दुष्कर्म करने की बात कही गयी।