हरदोई। शहर के नबीपुरवा निवासी सात्विक श्रीवास्तव ने पीसीएस 2023 की परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया है। सात्विक रेलवे विभाग में इंजीनियर के पद पर तैनात थे। जिन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में सफलता हासिल की है।
जानकारी मिलते ही परिवार में जश्न का माहौल है। सात्विक के पिता दस्तावेज लेखक हैं।
शहर में धर्मशाला रोड पर स्थित नबीपुरवा निवासी जगदीश श्रीवास्तव शहर के रजिस्ट्री कार्यालय में दस्तावेज लेखक हैं जबकि मां चित्रा श्रीवास्तव ग्रहणी हैं। सात्विक अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। सात्विक श्रीवास्तव को तीसरे प्रयास में सफलता मिली है। घोषित किए गए परिणामों के मुताबिक, उन्हें तीसरा स्थान मिला है। सात्विक पढ़ने में बचपन से ही होशियार रहे हैं।
जूनियर इंजीनियर से त्यागपत्र देकर की तैयारी
हाईस्कूल की परीक्षा शहर के सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से वर्ष 2013 में पास की थी। इसी स्कूल से वर्ष 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा 94.8 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी। इसके बाद उनका एन आई टी जयपुर में प्रवेश हो गया था। बीटेक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
वर्ष 2021 में उन्होंने यूपीपीसीएस का एग्जाम दिया लेकिन प्रीलिम्स ही क्लियर नहीं हुआ. 12 मई 2022 को उनका सलेक्शन रेलवे में जूनियर इंजीनियर पद पर हुआ। जिसके बाद इलाहाबाद में 14 दिन की ट्रेनिंग हुई और फिर बांदा जिले में तैनाती मिली। लेकिन 14 जून को उनका यूपीपीएससी का प्रीलिम्स का इग्जाम लगा था लिहाजा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने परीक्षा से दो सप्ताह पहले रेलवे की नौकरी छोड़ तैयारी शुरू की, लेकिन प्री क्वालिफाईनहीं हुआ।
तीसरे प्रयास में मिली सफलता
दो प्रयास में जब प्रारंभिक पात्रता परीक्षा क्लियर नहीं हुई तो सात्विक थोड़ा निराश हुए लेकिन परिवार वालों,दोस्तों और शुभचिंतकों ने उनका हौसला बढ़ाया तो वे और शिद्दत से पढ़ाई में जुट गए। फिर तीसरे अटेम्प्ट में पीसीएस में तीसरा स्थान हासिल किया है। सात्विक के पीसीएस में चयन होने पर उनके शुभचिंतकों और चाहने वालों ने बधाइयां दी। तमाम लोग सात्विक के नवीपुरवा स्थित आवास पर बधाई देने के लिए पहुंचे।
सात्विक श्रीवास्तव अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता, पिता और साथ ही अपने मेंटर आशुतोष श्रीवास्तव को देते हैं।उनका कहना है कि पीसीएस की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना चाहिए। इस परीक्षा में योग्यता के साथ-साथ धैर्य की भी परीक्षा होती है, धैर्य के साथ ही बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।