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हद है ! संकुल शिक्षक की बैठक में छात्रों को पकड़ा दी गयी ट्रे ,छुट्टी के बाद शिक्षकों को चाय नाश्ता परोसते रहे छात्र

हद है ! संकुल शिक्षक की बैठक में छात्रों को पकड़ा दी गयी ट्रे ,छुट्टी के बाद शिक्षकों को चाय नाश्ता परोसते रहे छात्र

हरदोई। बेसिक शिक्षा विभाग से छात्रों को शत प्रतिशत निपुण बनाए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन भरावन के उच्च प्राथमिक स्कूल हयातगंज में मंगलवार को निपुण की चर्चा के दौरान शंकुल बैठक में उपस्थिति सभी शिक्षकों को चाय पानी परोसने के लिए छात्रों को लगा दिया गया। 

एक ओर जहां योगी सरकार शिक्षा के बढ़ते पर जोर दे रही है , तरह तरह की सुविधाएं मुहैया करा रही है , बच्चों को निपुण बनाकर ऊंचे ओहदे पर ले जाने का सपना भी साकार करना चाह रही है , लेकिन भरावन के शिक्षकों ने शिक्षा के मंदिर में सारी हदें तब पार कर दी जब मेहमान नवाजी में छात्रों को लगा दिया गया , यहां बैठक में आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षकों को छात्र ने ट्रे में चाय और बिस्कुट लेकर वितरित किया । एक भी शिक्षक ने छात्र व शंकुल प्रभारी सहित हेड टीचर से यह तक नही पूंछा ऐसा क्यों ? तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया तो बचाव में हेड टीचर कविता त्रिपाठी ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा की रसोइया नाश्ता देने के लिए लगी हुई थी छात्र ने धोखे से पकड़ा लिया होगा , जबकि छुट्टी होने के बाद शंकुल बैठक आयोजित हुई तो वहां छात्र को क्यों रोका गया , शंकुल प्रभारी राजेंद्र ने बताया धोखे से छात्र ने प्लेट पकड़ी होगी ।  स्पष्ट है छात्र से मेहमाननवाजी के लिए ही रोका गया , तस्वीरों में छात्र नाश्ता वितरित करते हुए नजर आ रहा है । खंड शिक्षा अधिकारी डीएल राना बैठक से अनुपस्थित थे।श्री राना ने विभागीय दांव खेलते हुए कहा मामले में स्पष्टीकरण तलब किया गया है । 

बैठक का आता रुपया , फिर भी बेंच का सहारा

शंकुल बैठक के लिए विभाग की तरफ से 2250 रुपए शंकुल प्रभारी को व्यवस्था के नाम पर मिलता है , मंगलवार को हुई बैठक में व्यवस्था के नाम पर विद्यालय के तीन कमरों में अलग अलग शिक्षक बेंच पर बैठकर मशगूल नजर आए , बैठने के लिए कुर्सी का प्रबंध नहीं किया गया । 

हर बार होता खेल 

शंकुल बैठक में हर बार देर से आना जल्दी जाना शिक्षकों की फितरत में है , कई शिक्षक तो शक्ल दिखाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर बनाकर घरों के लिए रवाना हो जाते हैं , कुर्सी पर डटे खंड शिक्षाधिकारी भी कोई ध्यान नही देते जिसकी बानगी देखने को मिली है ।

सुधांशु मिश्र

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