हरदोई।श्री वृंदावन धाम से पधारे हुए गोविंद गोपाल लीला संस्थान के संचालक स्वामी श्री कन्हैयालाल दात्रेय जी के कुशल निर्देशन में आज राम वनवास भूमिका का मंचन नुमाइश मेला मैदान में रामलीला में हुआ।
महाराज दशरथ अपने दरबार में बैठे और मुकुट देखा तो उसमें क्या देखा कि उनके कानों के समीप स्वेत बाल हो गए वह समझ गये कि अब मुझे राम को राजा बना कर मुझे वन में चला जाना चाहिए। तो उन्होंने घोषणा कर दी राम को राजा बनना है ।फिर वह अपने गुरु वशिष्ठ के पास गए और उनसे पूछा कि राम को कब राजा बनाया जाए तो गुरु जी कहते हैं जिस दिन जिस समय राजा बने वह दिन शुभ हो यह सुनकर महाराज दशरथ वहां से चले गए जब राम जी ने सुना के पिताजी मुझे अयोध्या का राजा बनना चाहते हैं तो वह सोच में पड़ गए और सोचने लगे कि मैं राजा बनकर कैसे दुष्टों का वध कर पाऊंगा तो वह गुरु विशिष्ट के पास गए रात्रि में, और गुरु जी से बोले कि गुरुदेव मुझे राजा नहीं बनना मुझे वनवास चाहिए। गुरुदेव ने कहा कि राम मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता तो राम जी वहां से सीधे माता कैकई के पास गए और उनसे जाकर वरदान मांगने लगे तो माता कैकई राम जी से अधिक प्रेम करती थी इसलिए उन्होंने वरदान देने के लिए बोल दिया ।वरदान में राम जी ने माता कैकई से वनवास मांग लिया यह सुनकर माता मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई। राम जी ने होश में किया अपनी माता को और समझाया रात्रि होने के बाद जब प्रातः मंथरा को पता चला की राम राजा होंगे तो वह बड़ी खुश होती है लेकिन देवता माता सरस्वती की सहायता से मंथरा की मति को फेर देते हैं इधर मंथरा कैकई के पास जाती है और उनको राम को वनवास भेजने की शिक्षा देती है और बहुत प्रकार से कैकई को समझती है यह सब दृश्य देख कर भक्त बड़े भावुक हुए।
इस मंचन के समय श्री कृष्ण अवतार दीक्षित वाले ,प्रेम शंकर द्विवेदी , अमलेन्द्र नाथ मिश्रा मांटी बाबू ,राजीव मिश्रा, उमेश मिश्रा, रजनीश श्रीवास्तव, राजेंद्र त्रिवेदी, सर्वेश त्रिपाठी, सहित सैकड़ो गणमान्य नागरिक व महिलाओं उपस्थित रही।