पाली। सहजनपुर में मनकामेश्वर मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार को कथा व्यास बजरंगी महाराज ने रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मिणी ने जब देवऋषि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो अपने मन ही मन उन्होंने श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था। और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मिणी के संदेश पर श्रीकृष्ण ने युद्ध में उनका उनकी इक्षा से हरण किया। रास्ते में रुक्मी से युद्ध कर उसे दंडित किया। और रुक्मिणी से विवाह किया। रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनकर पूरा पांडाल जय श्री कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा।
श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन रुक्मिणी विवाह का हुआ वर्णन
