हरदोई। प्लास्टिक की बड़ी-बड़ी चीजों के टूटने से जो छोटे-छोटे omega replica uk कण बनते हैं, वे भोजन, पानी और सांस के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते रहते हैं। इसलिए हम सभी को प्लास्टिक से दूरी बना लेना चाहिए।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर आयोजित ‘प्लास्टिक replica watches प्रदूषण को हराना है’ विषयक गोष्ठी में सीनियर नेचरोपैथ डॉ. राजेश मिश्र ने कहा कि १९७३ से ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाते-मनाते पर्यावरण की दुर्दशा कर दी। उन्होंने कहा कि ‘मर्ज बढ़ती गयी, ज्यों-ज्यों दवा की’। कहा ‘पर्यावरण दिवस’ मनाते रहे फिर भी सारा पर्यावरण विषाक्त हो गया। आगे कहा कि मनुष्य और पशुओं से लेकर गर्भस्थ भ्रूण तक माइक्रो प्लास्टिक की चपेट में आ चुका है।
डॉक्टर मिश्र ने कहा कि उन्होंने २००६ में दिल्ली से ‘स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जनचेतना यात्रा’ प्रारम्भ की थी। हरिद्वार पहुंचने पर हर की पौड़ी पर प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध की मांग की थी। उन्होंने तब से आज तक पॉलीथिन का प्रयोग नहीं किया। तब यह नारा दिया था कि ‘पॉलीथिन नहीं, थैला संस्कृति replica Rolex datejust अपनाएं।’ हरदोई में यात्रा समापन के अवसर पर बरेली के तत्कालीन मंडलायुक्त अमिय कृष्ण चतुर्वेदी, हरदोई के तत्कालीन जिलाधिकारी सहित कई अन्य अधिकारी, समाजसेवी व पत्रकार उपस्थित रहे थे। २०२३ में भी उन्होंने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली से ‘योग एवं पर्यावरण’ यात्रा प्रारम्भ की थी, जो सवायजपुर तहसील के एक गांव में पंचवटी रोपित करके सम्पन्न हुई थी। वे स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर कई यात्राएं कर चुके हैं।
अमित मिश्र और मनोज मिश्र ने प्लास्टिक से दूरी बनाने की बात कही। डॉ. सरल कुमार ने कहा कि प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन करने से माइक्रो प्लास्टिक शरीर में जा रही है। कैंसर जैसे रोग हो रहे हैं। यदि न चेते तो मुश्किल में पड़ जाएंगे।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. अखिलेश वाजपेयी ने कहा कि ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाते रहे, नीतियां बनाई गयीं लेकिन क्रियान्वयन ठीक तरह से नहीं हुआ जिसका परिणाम हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर चूक कहां हुई। इस संकट से निपटने के लिए निति निर्माताओं से लेकर समाज के लोगों को गम्भीरता पूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने भौतिक विकास की अपेक्षा मानव विकास करने पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल एक सरकारी या संस्थागत कार्य नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। डॉ अभिषेक पाण्डेय, शिवकुमार, नन्द किशोर सागर, गोविन्द गुप्ता, उपेन्द्र प्रताप सिंह, अनामिका उपस्थित रहे।