लखनऊ। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक-2021 विधानमंडल के दोनों सदन से वापस ले लिया गया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने तकनीकी कारणों के आधार पर विधेयक को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटाया था।
विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने इसका कारण बताते हुए यह विधेयक राज्यपाल के यहां से अगस्त में वापस आया था। कमिशनरेट व्यवस्था होने से उससे में बदलाव करना जरूरी हो गया। पुलिस आयुक्त के बढ़े अधिकारों से उपजी विधिक अड़चन को लेकर उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2021 को वापस किया गया। सरकार जल्द आवश्यक बदलाव कर विधेयक को नए सिरे से लागू कराएगी।सरकार ने इस साल मार्च माह में कैबिनेट ने उप्र गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2021 में परिवर्तन के साथ उप्र गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2023 लागू किए जाने की मंजूरी दी थी जिसके माध्यम से पुलिस कमिश्नरेट में अपील सुनने का अधिकार पुलिस आयुक्त को प्रदान किया गया था, जबकि उनके अधीनस्थ अधिकारियों को इसे लागू करने के अधिकार प्रदान किया गया था।विधानसभा कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि नियम केअनुसार, सरकार को विधेयक वापस लिए जाने के कारणों को भी बताना चाहिए थे। विधान परिषद में सपा सदस्यों ने भी विधेयक वापस लिए जाने के कारणों को लेकर सवाल उठाए। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण संशोधन विधेयक-2021, जो राज्य विधान मंडल पारित किये जाने के बाद संविधान के अनुच्छेद-200 के अंतर्गत राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा गया था।