उत्तर प्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी है। हरदोई समेत आसपास के इलाकों में झमाझम बारिश ने लोगों को गर्मी से निजात दिलाई है। हालांकि बारिश रुकने से लोग उमस से जरूर परेशान हो रहे हैं। एक और जहां बारिश होने से लोगों को गर्मी से राहत मिली है वही बारिश में संक्रमण के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। हरदोई के मेडिकल कॉलेज में बारिश के चलते संक्रमित हुए मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बारिश में सांप बिच्छू के काटने का खतरा भी काफी अधिक रहता है। जिला प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को घास फूस में न जाने व सावधानी बरतने की अपील कर रहा है। बारिश में सबसे ज्यादा खतरा कान के मरीजों को रहता है। बारिश में सबसे ज्यादा समस्याएं कान में लोगों को उत्पन्न होती हैं। हरदोई के मेडिकल कॉलेज में इन दिनों कान के मरीज की की संख्या काफ़ी बढ़ गई है। मेडिकल कॉलेज के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक सिंह ने बताया कि बारिश में कान में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। बारिश में कान का खास खयाल हम सभी को रखना चाहिए। यदि समय रहते कान की समस्या ठीक ना हो तो तत्काल अपने नजदीकी डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।
यह होती है कान में समस्या, ऐसे करे बचाव
हरदोई के मेडिकल कॉलेज में तैनात नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक सिंह ने बताया कि बरसात में कानों में समस्या लोगों को बढ़ जाती है यह समस्या उन लोगों को सबसे ज्यादा बढ़ती है जिनके कान के पर्दों में छेद हो या पर्दा फटा हो। डॉ विवेक सिंह ने कहा की बारिश में बच्चों से लेकर युवाओं तक और बुजुर्गों तक को कानों में कवक (फंगस) हो जाता है। यह समस्या बारिश के पानी में नहाने, कान में बारिश का पानी जाने, नदी नहर में नहाने, कानों की नियमित सफाई न होने से उत्पन्न हो जाती है।कानों में कवक (फंगस) होने पर मरीज को कानों में दर्द खुजली होना शुरू हो जाता है। ऐसे में कई मरीज कान में माचिस की तीली या अन्य कोई नुकीली वस्तु से कान को खुजला लेते हैं जो की कवक (फंगस) को बढ़ा सकता है। डॉ विवेक सिंह ने कहा कि इस तरह का लगने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं कान में किसी प्रकार की अन्य कोई दवा आदि का प्रयोग बिना डॉक्टर के परामर्श के बिलकुल भी ना करें।नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक सिंह ने कहा कि बारिश में कानों की नियमित सफाई करे, बारिश के पानी में ना नहाये, नहर नदी में ना नहाने से इस कवक (फंगस) नाम की बीमारी से बचा जा सकता है। विवेक ने कहा कि मानसून के शुरू होते ही कवक (फंगस) से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ी है।