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मिली निःशुल्क़ मिट्टी से बर्तन एवं मूर्तियों के कारोबार में फिर लौटे कुम्हार

मिली निःशुल्क़ मिट्टी से बर्तन एवं मूर्तियों के कारोबार में फिर लौटे कुम्हार

हरदोई। इस बार की दीपावली कुम्हारों के लिए खुशिया लेकर आने वाली है,कारण यह है कि इन लोगों को मिट्टी के समान व मूर्तियां बनाने के लिए निशुल्क मिट्टी उपलब्ध हो रही है।
दीपावली एवं अन्य त्योहार के लिए यह मूर्तियां एवं मिट्टी के बर्तन बनाने में जुटे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह भी है कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी मूर्ति बनाने के कार्य में लगी हुई है।

दरसल पहले कुम्हारों को मिट्टी के लिए परेशान होना पड़ता था,इन लोगों को मिट्टी खरीदनी पड़ती थी। लेकिन योगी सरकार द्वारा कुम्हारी कला बोर्ड के गठन के बाद कुम्हारों को तालाब आवंटन किये जाने से किस्मत बदल गई है पहले इन लोगों को मिट्टी के लिए तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था, मिट्टी लाते समय कई बार पुलिस भी इनको परेशान करती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। कुम्हार लोग आवंटित तालाबों से मिट्टी लाकर मूर्तियां व बर्तन आदि बनाने का कार्य कर रहे हैं।

महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

मूर्ति बनाने के कार्य में प्रजापति समाज की महिलाएं भी जुटी हुई हैं, इनके जिम्मे मूर्तियों रँगाई और साज सज्जा का कार्य होता है। जैसा कि आप देख रहे हैं कि महिलाएं मूर्ति को रंग रही हैं, यह गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां है जिसको रंगा जा रहा है। राजवती ने बताया कि अर्से बाद उनको यह अवसर मिला है, क्योंकि पहले मिट्टी महंगी मिलने के चलते मूर्ति बहुत कम बनाई जा रहीं थी, क्योंकि मूर्ति बनाने का कार्य बहुत बारीकी से किया जाता है इसमें लागत और समय ज्यादा लगता है, वहीं जब हर चीज खरीदकर इसे बनाते थे तो बाजार में उतना भाव नहीं मिल पाता था जिसकी वजह से मूर्तियों का काम लगभग बन्द कर दिया था, लेकिन अब मिट्टी निःशुल्क़ मिलने से इसे फिर शुरू किया है और अब इनका बाजार भाव बहुत ज्यादा नहीं रहेगा जिससे कि लोग इसे आसानी से खरीद सकेंगे।

अच्छी कमाई का जरिया बना हुनर

राजवती बतातीं हैं कि उन्होंने अरसे बाद उन्होंने ब्रश पकड़ा है, वह बतातीं हैं कि जब छोटी थीं तब उनके घर में मूर्तियां बनाने एवं उनकी रंगाई और सजाई का कार्य होता था जहां उन्होंने इस काम को सीखा था, शादी के बाद कुछ वर्षों तक ससुराल में भी यह काम किया, लेकिन बाद में परिस्थितियों ऐसी बनी है कि लोग मिट्टी की मूर्तियां या मिट्टी के बर्तन से दूर होते गए। और इसका बड़ा कारण यह रहा कि मूर्तियों व बर्तनों की लागत ज्यादा होने और फिर उसका बाजार भाव ज्यादा होना, जिसकी वजह से लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी सस्ते दाम की मूर्तियां खरीद रहे थे,लेकिन अब मिट्टी की निःशुल्क़ उपलब्धता से यह समान सस्ते हो रहे हैं और लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं। उनके साथ उनकी बहू वह बेटी भी उनका हाथ बंटा रही है और इस दीपावली वे अपनी घर में बनाई गई मूर्ति तो रंग ही रहीं है साथ में अन्य लोगों का भी काफ़ी ऑर्डर आया है जिससे वह दीपावली अच्छी कमाई कर रही है। राजवती की तरह शहर प्रजापति समाज की इस कार्य से जुड़ी अधिकतर महिलाएं मूर्तियों को रंगने का कार्य कर रही है और अच्छी कमाई कर रहीं हैं।

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