लखनऊ। बीजेपी यूपी में मिशन 80 की खातिर कुछ भी कर सकती है। जिताऊ कैंडिडेट अगर मौजूदा सांसद साबित होने के आसार होंगे तो टिकट पक्की वर्ना नया उतारेगी। पार्टी ने अपने लेबल पर सर्वे कराया है। जिनकी परफार्मेंस रिपोर्ट और इलाकाई शोहरत संतोषजनक नहीं, उन्हें साइड लाइन किया जायेगा। इसका आभास होने के कारण कई सांसदों ने क्षेत्र से लेकर पार्टी दफ्तर में हाजिरी बढ़ा दी है। भाजपा 2014 व 2019 के सीटों के रिकार्ड को यूपी में तोड़ना चाहती है। पार्टी फोकस प्रत्याशी चयन में सामाजिक समीकरण साधने पर है।भाजपा कई स्तरों पर अपने चुनावी योद्धाओं की कूबत परख रही है। पार्टी सर्वेक्षणों के आधार पर कुछ सांसदों का टिकट कटना है और कुछ उम्र ज्यादा होने के कारण टिकट से वंचित हो सकते हैं। कुछ की सीट बदल सकती है। बीजेपी में लक्ष्य हासिल करने के लिए जरूरत के अनुसार निर्णय लेने में तनिक भी देरी न लगने का चलन है। पार्टी जीत के लिए समीकरणों का गुणा-भाग लगा रही है।फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर पार्टी इस बार एक केंद्रीय मंत्री को उतारे जाने की सम्भावना है।मथुरा की सांसद ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी 75 के फेर में फंसीं तो उनकी सीट भी दूसरे को मिल सकती है। खराब प्रदर्शन वाले सांसदों का टिकट कटना तय है। कुछ विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री पार्लियामेंट का चुनाव लड़ाये जा सकते हैं। मोदी लहर में चुनावी नैया पार लगने के बाद कई सांसदों ने अपने क्षेत्र की ओर मुड़कर नहीं देखा,जनता के बीच रहे नही जिसकी वजह से नाखुशी है। वोट तो जनता को देना है, बीजेपी को वोट चाहिए, बदलने में तनिक भी गुरेज नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बराबर सांसदों को क्षेत्र में सक्रिय रहने के निर्देश देते रहे लेकिन सुधार नहीं हुआ। चुनाव नजदीक आया तो सक्रिय हो गए। लक्ष्य हासिल करने के लिए बीजेपी इलाकाई समीकरण को तवज्जो देगी।
बीजेपी का मिशन 80ः कई सांसदों का कटेगा टिकट,नए को मौका !
