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बाल रामलीला में हुआ लंका दहन लीला का मंचन

बाल रामलीला में हुआ लंका दहन लीला का मंचन


शाहाबाद, हरदोई। श्री बाल रामलीला नाट्य कला मंदिर, चौक स्थित रामलीला मैदान में नवें दिवस सुग्रीव मित्रता बालि वध, लंकादहन लीला का मंचन आरती पूजन अर्चन के बाद किया गया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पूजा अर्चना व आरती राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने की। तत्पश्चात वृन्दावन के मेहमान कलाकारों ने सुग्रीव मित्रता, बालि वध और लंका दहन का मंचन किया, मंचन में मेहमान कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को आकर्षित किया। जिसे देखकर दर्शकों की आंखें खुशी से छलक उठीं, बालि वध, लंका दहन होते ही मेला पंडाल श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। लीला मंचन के दौरान स्वर्ण मृग मरीचिका न मिलने पर राम व लक्ष्मण पंचवटी लौटते हैं। सीता मैया को खोजते हुए दोनों भाई भील सबरी के घर पहुंचते हैं, जहां सबरी असीम प्रेम में श्रीराम को जूठे बेर खिलाती है। राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ माता सीता को ढूढ़ते हुए किष्किंधा पर्वत पर पहुंचते हैं, जहां हनुमान से भेंट होने के साथ ही सुग्रीव से मित्रता हो जाती है। सुग्रीव से पर्वत पर रहने का कारण पूछकर श्रीराम के कहने पर सुग्रीव ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा, सुग्रीव और बाली के बीच जोरदार संवाद और देर तक युद्ध चला, इसके बाद प्रभु राम ने बाली का वध किया। इसके बाद सुग्रीव ने माता सीता की खोज के लिए हनुमान जी को लंका भेजा, लंका पहुंचने पर हनुमान विभीषण के पास जाते हैं, वह उन्हें माता सीता के अशोक वाटिका में रखे जाने की जानकारी देता है। माता सीता से भेंट के दौरान हनुमान उन्हें प्रभु राम की निशानी अंगूठी देते हैं। भूख लगने पर वह सीता की आज्ञा पाकर अशोक वाटिका में जाकर भरपेट फल खाते हैं। जब राक्षस उन्हें रोकते हैं तो वे उनका वध कर देते हैं। रावण का छोटा पुत्र अक्षय कुमार हनुमान के हाथों वीरगति को प्राप्त होता है। रावण क्रोधित होकर हनुमान की पूछ में आग लगाने का आदेश देते है। हनुमानजी अपना पराक्रम दिखाते हुए उसी जलती हुई पूछ से लंका को आग लगाकर दहन कर राम जी के पास आते है।

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