हरदोई।क्षेत्र संन्यास से अभिप्राय है कि साधक अथवा साधकों का समूह एक निश्चित क्षेत्र में ही रह कर साधना करेगा। साधक संकल्प लेता है कि वह साधना क्षेत्र या परिसर से बाहर नहीं निकलेगा।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व सीनियर नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र ने बताया कि उन्होंने दो वर्षों से क्षेत्र संन्यास लेकर चातुर्मास साधना की। जब वे लम्बे समय तक अपने परिसर से बाहर नहीं निकले तो एकाग्रता बढ़ी, मन शांत हुआ। इस कालखंड में उन्होंने छः शास्त्रों योगदर्शन आदि का अध्ययन भी किया। उन्होंने चातुर्मास के बाद एक दिन नैमिषारण्य में जाकर हवन किया और अगले दिन से पुनः क्षेत्र संन्यास ले लिया, जिसका समापन बसंत पंचमी को होगा और सबसे पहले कायाकल्पकेन्द्रम् परिसर से निकलकर तीर्थराज प्रयाग में लोक-मंगल के लिए परिष्कार मूलक हवन करेंगे।
डॉ मिश्र ने बताया कि ब्रह्मा ने वहां प्रथम यज्ञ किया था। उसके बाद से ही प्र + यज्ञ (याग) = प्रयाग नाम पड़ा। श्री मिश्र ने बताया कि माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। कहा कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों का संगम है। सरस्वती नदी गुप्त प्रवाहित होती है। नदियों के संगम पर हवन और ध्यान का बड़ा महत्त्व है, इसलिए वे वहां फलाहार, हवन तथा ध्यान करेंगे और माता सरस्वती से प्रार्थना करेंगे कि पांच मार्च से प्रारंभ होकर एक वर्ष तक चलने वाली वेदांत और उपनिषद् की कक्षा में आदर्श विद्यार्थी बन कर ज्ञानार्जन कर सकें। विद्यार्थियों को बसंत पंचमी पर श्रद्धा पूर्वक हवन मौन व ध्यान करने की सीख दी। कहा इससे उन्हें बहुत लाभ होगा। संगम पर होने वाले यज्ञ में डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ अभिषेक पाण्डेय, श्रीओम पाण्डेय, मुदित त्रिपाठी भाग लेंगे।