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‘प्राकृतिक चिकित्सा दिवस’ पर प्रकृति की ओर लौटने का सन्देश

‘प्राकृतिक चिकित्सा दिवस’ पर प्रकृति की ओर लौटने का सन्देश

हरदोई। प्राकृतिक चिकित्सा (नेचरोपैथी) के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक चिकित्सा में प्राकृतिक संसाधनों से अच्छे स्वास्थ्य का निर्माण किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर लोगों में जानकारी व जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष अठारह नवम्बर को भारत के आयुष मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस’ मनाया जाता है।

शहीद उद्यान स्थित कायाकल्पकेन्द्रम् के संस्थापक व प्रख्यात नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र ने चिकित्सार्थियों को नि:शुल्क परामर्श के साथ-साथ आदर्श आहार के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वे इकतीस वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा के दस सिद्धान्त बताये। कहा सभी रोग एक, उनका कारण एक और उनकी चिकित्सा भी एक है। रोग का कारण कीटाणु नहीं हैं। तीव्र रोग शत्रु नहीं मित्र होते हैं। प्रकृति स्वयं चिकित्सक है। चिकित्सा रोग की नहीं रोगी के पूरे शरीर की होती है। रोग निदान की विशेष आवश्यकता नहीं है। जीर्ण रोग के रोगियों के आरोग्य लाभ में समय लग सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा से दवाओं से दबाये गये रोगों में उभार आता है। मन, शरीर और आत्मा- तीनों की चिकित्सा साथ-साथ की जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा में दवाएं नहीं दी जातीं।

डॉ मिश्र ने कहा कि प्रकृति के कण-कण में आरोग्य भरा हुआ है। कहा अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक ही रास्ता है कि हम प्रकृति की ओर लौटें। सत्संग, स्वाध्याय और सन्ध्या को आत्मा का भोजन बताया। उन्होंने कहा अन्न ही औषधि है। कब, क्या, कितना और कैसे खाना है, इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए। इससे पहले सुख की प्राप्ति होगी।

भाजपा नेता प्रीतेश दीक्षित ने कहा कि प्रकृति के निकट रहने वाले जीव स्वस्थ रहते हैं। यदि मनुष्य भी प्रकृति से निकटता बढ़ाये तो उसका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। डॉ श्रुति दिलीरे, डॉ अभिषेक पाण्डेय, नन्द किशोर सागर, शिवकुमार, एडवोकेट वीरेन्द्र नाथ गुप्ता, सर्वेश कुमार, मुनीश मित्तल, पायल मित्तल व अन्य लोग उपस्थित रहे।

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