हरदोई में अब यूपी डायल 112 पर झूठी सूचना देने वालों पर पुलिस ने नकेल कसना शुरू कर दिया है।हरदोई में देखा गया कि कई मामलों में यूपी डायल 112 को लूट अपहरण मारपीट जैसे मामलों में झूठी सूचना दी गई। पुलिस को मिली इस सूचना से न सिर्फ डायल 112 के कर्मी परेशान हुए बल्कि थाने के अधिकारी और कर्मचारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों द्वारा झूठी सूचना देने पर संसाधनों का भी दुरुपयोग हुआ।इसको लेकर अब हरदोई पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने सख्त कार्रवाई को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। पुलिस अधीक्षक के आदेश के बाद अब यूपी डायल 112 को फर्जी सूचना देने वालों की सूची तैयार कर ली गई है जिस पर अब पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।पुलिस अधीक्षक द्वारा जनपद के सभी थाना अध्यक्षों को इस बाबत निर्देश जारी कर दिए हैं। जनपद में पुलिस को झूठी सूचना देने वालों की अच्छी खासी संख्या है। पुलिस अधीक्षक द्वारा 21 अक्टूबर से 8 नवंबर तक आई सूचनाओं की जांच पड़ताल कराई थी।
हाल ही में एक वीडियो हुआ था वायरल
हाल ही में हरदोई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा था जिसमें पुलिस को चोरी की सूचना प्राप्त हुई थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मामला आलू चोरी का है और वह भी 300 ग्राम आलू चोरी का। सोशल मीडिया पर शिकायत करने वाले का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उसके द्वारा 300 ग्राम आलू चोरी की जांच के लिए अप डायल 112 को कॉल की थी। इस प्रकार की अन्य कई घटनाएं पुलिस के सामने आ चुके हैं। इन पर अब सख्ती से लगाम लगाया जाएगा।यदि कॉलर द्वारा डायल 112 को झूठी सूचना दी तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी नृपेंद्र कुमार ने बताया कि झूठी सूचना देकर पुलिस को बार-बार परेशान करना या पुलिस कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।यूपी 112 एक आपातकालीन सेवा है इसका उद्देश्य अधिक से अधिक पीड़ितों की शिकायत का निस्तारण करना है। हरदोई पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बताया कि झूठी सूचना की कॉल लिस्ट तैयार कर ली गई है। उसके हिसाब से मोबाइल नंबर दर्ज किए गए हैं। अब इसमें यह देखा जा रहा है कि कितने लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक बार से अधिक झूठी सूचनाओं देकर पुलिस को परेशान किया है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ इन नंबरों को रिकॉर्ड में भी दर्ज किया जाएगा जिससे कि आगे चलकर अगर इन नंबरों से कोई झूठी सूचना पुलिस को प्राप्त होती है तो उस पर कार्रवाई की जाए सके। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एक बार गलती करने वाले नंबरों की जांच में अगर यह साबित हो गया कि उसने जानबूझकर गलती नहीं किया तो उसे एक मौका मिलेगा लेकिन नंबर हमेशा रिकॉर्ड में दर्ज रहेगा।