पाली, हरदोई। पाली थाना क्षेत्र में परेली गांव के पास एक तेज रफ्तार डबल डेकर बस ट्रैक्टर से टकराने के बाद सड़क किनारे खाई में पलट गई। बस पर 70 नेपाली यात्री सवार थे। 3 गंभीर घायलों को एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल भेजा गया, कई अन्य यात्रियों को भी मामूली चोटें आईं। घटना में बस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, सूचना मिलने के 1 घंटे बाद पाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
लखीमपुर जिले के पलिया से एक डबल डेकर बस 70 नेपाली यात्रियों को लेकर मुंबई के लिए मंगलवार रात को निकली थी। बुधवार अलसुबह 4:30 बजे बस पाली-शाहाबाद मार्ग पर परेली के पास ट्रैक्टर से टकराने के बाद सड़क किनारे खाई में पलट गई। घटना से बस में सवार यात्रियों में चीख पुकार मच गई। सुबह टहलने निकले लोगों ने देखा तो मामले की सूचना स्थानीय पुलिस और यह एंबुलेंस को दी। मौके पर आसपास के गांव के गांवों के ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई। दुर्घटना के बाद ट्रैक्टर लेकर चालक मौके से भाग गया, इसके अलावा डबल डेकर बस के भी चालक परिचालक मौके से फरार हो गए। करीब एक घंटे बाद पाली थाने के उपनिरीक्षक वीर बहादुर सिंह, दो ट्रेनी उपनिरीक्षक और कांस्टेबल मौके पर पहुंचे तथा 7 एंबुलेंस भी पहुंची। बस में फंसे हुए यात्रियों को ग्रामीणों ने बाहर निकाला। गंभीर रूप से घायल तीन यात्रियों को एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया। इसके अलावा 6 अन्य यात्रियों को मामूली चोटें आईं, जो अस्पताल नहीं गए। बस में सवार नेपाल निवासी ट्रैवल एजेंट धर्मराज ने बताया कि जनपद लखीमपुर के पलिया से डबल डेकर बस मुंबई जा रही थी तभी पाली थाना क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्राली से टकराने के बाद बस खाई में पलट गई। दुर्घटना के समय बस में 70 यात्री सवार थे, जिसमें अधिकतर महिलाएं हैं। सभी यात्री नेपाल के निवासी हैं। दुर्घटना में बस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और चारों तरफ यात्रियों का सामान बिखरा हुआ पड़ा है।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि बीती सर्दियों में भी एक डबल डेकर बस इससे कुछ दूरी पर रोडवेज बस से टकरा गई थी, जिसमें डबल डेकर बस के परिचालक की मौत हो गई थी जबकि रोडवेज बस का चालक बुरी तरह घायल हुआ था। जिसे बस काट कर बाहर निकल गया और वह अब भी स्वस्थ नहीं है। शाहाबाद और पाली से दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के लिए अवैध रूप से डबल डेकर बसों का अवैध रूप से बड़े पैमाने पर संचालन होता है, जिनसे आए दिन हादसे होते रहते हैं। पर जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते हैं, जब दुर्घटना घट जाती है तो खाना पूर्ति करके पल्ला झाड़ लेते हैं।