पाली, हरदोई। पाली की रामलीला कमेटी को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच से बड़ा झटका लगा है और बेंच ने कोई राहत नहीं दी है। रामलीला कमेटी सचिव कमलाकांत वाजपेई के जरिए से सिंगल बेंच के नोटिस आदेश के खिलाफ डबल बेंच गई थी, बेंच ने सुनवाई से इनकार करते हुए सिंगल बेंच में चल रही जनहित याचिका के साथ सुनवाई करने का आदेश दिया है। समाजसेवी रघुवीर ने रामलीला कमेटी की अनियमिताओं और अवैध रूप से बाजार लगवाने व मनमाने ढंग से दुकानें आवंटित करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी।
पाली कस्बे के मोहल्ला आजाद नगर निवासी समाजसेवी रघुवीर पुत्र विशाल सिंह ने पाली की रामलीला कमेटी द्वारा की जा रही अनियमिताओं, रामलीला मैदान में अवैध रूप से बाजार लगवाने और मनमाने ढंग से दुकानें आवंटित करने को लेकर उच्च न्यायालय प्रयागराज की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसकी को लेकर बेंच ने रामलीला कमेटी के मंत्री/ सचिव कमलाकांत बाजपेई को नोटिस जारी किया था। नोटिस के खिलाफ रामलीला कमेटी ने कमलाकांत वाजपेई के जरिए डिवीजन बेंच में याचिका दायर कर नोटिस की कार्रवाई निरस्त करने की मांग की थी। 15 जुलाई को हुई सुनवाई में रामलीला कमेटी की तरफ से अधिवक्ता कीर्तिकर त्रिपाठी और श्रीकांत त्रिपाठी पैरवी कर रहे थे, वहीं नगर पंचायत पाली को भी पार्टी बनाया गया है, जिसकी तरफ से जितेंद्र कुमार सिंह और समाजसेवी रघुवीर की तरफ से धनंजय त्रिवेदी ने बेंच के समक्ष दलीलें राखी। मामले में राज्य सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता ओपी तिवारी ने याचिका का पुरजोर विरोध किया। अधिवक्ता कीर्तिकर त्रिपाठी ने बेंच से आग्रह किया कि रामलीला कमेटी के मंत्री और सचिव कमलाकांत वाजपेई पुत्र जगदीश नारायण बाजपेई निवासी मोहल्ला बेनीगंज बिरहाना कस्बा पाली को जारी किया गया नोटिस रद्द किया जाए, कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद रघुवीर द्वारा एकल बेंच में पूर्व में दायर की गई जनहित याचिका के साथ ही मामले की सुनवाई करने के लिए कमलाकांत वाजपेई की रिट को कनेक्ट करने का आदेश दिया तथा यह भी आदेश दिया कि अगली बार मामला सूचीबद्ध होने पर प्रतिवादियों के वकील के रूप में ओपी तिवारी और धनंजय त्रिवेदी का नाम प्रदर्शित किया जाए। फिलहाल पूरे प्रकरण से रामलीला कमेटी और खासकर कमलाकांत वाजपेई को बड़ा झटका लगा है। डिवीजन बेंच से उन्हें किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली है।