हरदोई। नवोदित कवियत्री आकृति श्रीवास्तव के प्रथम काव्य संग्रह ‘कृति’ का विमोचन रविवार को श्री सरस्वती सदन सभागार में सदन के अध्यक्ष अरूणेश वाजपेयी, डॉ राघवेंद्र मिश्रा एवं डॉ देशदीपक शुक्ल की गरिमामयी उपस्थिति में सपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ जनपद की कवियत्री पल्लवी मिश्रा की सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में रचनाकार आकृति ने कहा कि काव्य संग्रह कृति भावनाओं की ऐसी अभिव्यक्ति है जिसमें समाज की व्यथा के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों के रंग जुड़े हैं। कहा कि साहित्य रचना का मूल उद्देश्य समाज सुधार है और यदि एक भी व्यक्ति की विचारधारा में सकारात्मक परिवर्तन आता है तो उनका प्रयास सार्थक हो जाएगा।
उन्होंने अभिवावकों से भी किया कि वे बच्चों को उनकी रूचि के क्षेत्रों में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। इस अवसर पर पुस्तक के समीक्षक डॉ देशदीपक शुक्ल ने काव्य संग्रह की अनेक पंक्तियां उद्धृत करते हुए कहा कि रचनाकार ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ है। लखनऊ के डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर एवं राघवेंद्र मिश्र प्रणय ने कहा कि कविकर्म प्रणम्य है और ईश्वरीय वरदान है। सदन के अध्यक्ष वरिष्ठ समाजसेवी अरूणेश वाजपेयी ने कहा कि सदन का उद्देश्य साहित्य सेवा है और इसी के चलते गत कुछ ही समय मे सदन द्वारा डॉ राघेवन्द्र मिश्र तथा श्रवण मिश्र राही के बाद आकृति की पुस्तक का विमोचन किया गया है।उन्होंने आकृति को सदन परिवार की ओर से बधाई दी। रचनाकार के पिता अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि आकृति के काव्य लेखन की की बात उन्हें बहुत बाद में अपनी दूसरी पुत्रियों तन्वी एवं शैफाली के माध्यम से मिली जिसके बाद उन्होंने एक पिता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। कार्यक्रम का संचालन सदन के मंत्री मनीष मिश्र ने किया जबकि आभार प्रदर्शन पुस्तकालय अध्यक्ष सीमा मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में रचनाकार के परिवार के सदस्य माधवी श्रीवास्तव, शैफाली श्रीवास्तव, पूर्णिमा श्रीवास्तव, मृदुल श्रीवास्तव,मनीष श्रीवास्तव, टी एस राजू तथा अखिलेश वाजपेयी, गौरव भदौरिया, श्रवण कुमार पंकज अवस्थी उपस्थित रहे।