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द्वापर युग से शिवलिंग से निरंतर निकल रही जल धारा

द्वापर युग से शिवलिंग से निरंतर निकल रही जल धारा

सुधांशु मिश्र, हरदोई जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर धोबिया आश्रम है। यह आश्रम भगवान श्रीकृष्ण के कुलगुरु थे धौम्य ऋषि की तपोस्थली है। यहां कई अदभुद दृश्य हैं। यहां स्थापित शिवलिंग से निरंतर जलधारा निकलती रहती है जो करीब दो फुट ऊपर तक जाती है, इसके अलावा भी यहां पर कई जल स्रोत मौजूद है।

धोबिया आश्रम नैमिष क्षेत्र से सटा हुआ है और यह तपोवन क्षेत्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग मे धौम्य ऋषि ने इसी जगह आकर तपस्या की थी और बाद में वे भगवान श्रीकृष्ण के कुल गुरु बने।

अज्ञातवास में पांडव रहने आये

बताया जाता है कि महाभारत काल मे जब पांडवों का 14 साल के बनवास के बाद जब एक साल का अज्ञातवास शुरू हुआ तो श्रीकृष्ण ने उन्हें धोबिया आश्रम भेजा था, जिसके बाद वे कुछ समय यहां रहे। यहां जल की बहुत कमी थी जिसके बाद युधिष्ठिर ने अर्जुन से जल का प्रबंध करने को कहा,तब अर्जुन वाण गंगा 0चलाया था जिससे इस क्षेत्र में कई जल धाराएं फूट पड़ीं।

शिवलिंग से निकली जल धारा

जब अर्जुन ने वाण चलाया तो कई जल स्रोत तो फूटे ही यहां धौम्य ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग से भी जलधारा निकलने लगी जो आज तक अनवरत निकल रही है। मौसम कोई भी हो, भले ही पूरे क्षेत्र में सूखा पड़ जाय लेकिन शिवलिंग से यह जल धारा निकलनी नहीं बन्द होती है और यह करीब दो फुट ऊंचाई तक निकलती है। इस शिवलिंग के प्रति लोगों की गहरी आस्था है, जिले से ही नहीं बल्कि प्रदेश के कोने-कोने से लोग यहां आकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

कई किलोमीटर का है वन क्षेत्र

धोबिया आश्रम के चारों ओर कई किलोमीटर तक वन क्षेत्र है जहां पर कई ऋषियों ने तपस्या की थी और आज भी यहां पर साधु संत आकर तप करते हैं। मंदिर में स्थापित हनुमान जी के मंदिर में एक पीपल का पेड़ है जो करीब 80 वर्षों से जस का तस बना हुआ है, आज तक उसकी लंबाई चौड़ाई नहीं बढ़ती है और ना ही उसे पर कभी जल समर्पित किया गया है।

नेपाली बाबा ने आश्रम को दिया विस्तार

यहां के पुजारी स्वामी नारायणनन्द ननद जी महाराज ने बताया कि स्वामी तारेश्वरानन्द जी जो नेपाली नेपाली बाबा नाम से जाने जाते थे उन्होनें यहां करीब साठ साल गहरी तपस्या की और फिर यहीं बैठकर अपना शरीर त्यागा था। उनकी समाधि यहां बनी हुई है। बताया कि नेपाली बाबा जब तक यहां रहे तब तक उन्होंने आश्रम का एक तिनका भी ग्रहण नहीं किया वे बहुत त्यागी पुरुष थे, उन्होंने आश्रम को विस्तार दिया।

पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया

यहां के पौराणिक महत्व और दर्शनीय स्थल को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया और यहां कई विकास कराए गए। यहां निकलती जल धाराएं को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं। इस क्षेत्र में कई बड़े ऋषि मुनियों की समाधियां भी इस क्षेत्र में हैं

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