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जेल में क़ैदी बनेंगे आत्मनिर्भर, जेल की इस पहल से सुधरेगा क़ैदियों का जीवन

जेल में क़ैदी बनेंगे आत्मनिर्भर, जेल की इस पहल से सुधरेगा क़ैदियों का जीवन

हरदोई जिला कारागार लगातार सुर्खियों में बना रहता है।यह सुर्खियां चाहे छोटा राजन गैंग का शार्प शूटर खान मुबारक को जेल में रखें जाने को लेकर हो या फिर सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम को जेल में रखे जाने को लेकर। इन सब के बाद जिला कारागार हरदोई अपने बेहतरीन कार्य को लेकर भी जाना जाता है। जिला कारागार में बंद कैदियों को जेल प्रशासन लगातार आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहा है।समय-समय पर जेल प्रशासन द्वारा जेल में बंद कैदियों का प्रशिक्षण कराया जाता रहता है वहीं शिक्षा की बात की जाए तो जेल में बंद क़ैदियों को हाई स्कूल, इंटर व ग्रेजुएट की शिक्षा दिलाने का भी प्रबंध जेल प्रशासन द्वारा किया जाता है।प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत की सोच को मार्गदर्शन मानते हुए जेल प्रशासन हरदोई जिला कारागार में बंद कैदियों को वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के साथ कौशल विकास का प्रशिक्षण देने जा रहा है। इस प्रशिक्षण से जेल में बंद कैदी आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर होंगे।जेल प्रशासन द्वारा कराए जाने वाले प्रशिक्षण में महिला व पुरुष कैदी सम्मिलित होंगे।

जेल से बाहर आने के बाद समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का उद्देश्य

जेल प्रशासन द्वारा वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के अंतर्गत जिला कारागार में बंद कैदियों में से 25 कैदियों ने प्रशिक्षण लेने की इच्छा व्यक्त की है।इन 25 कैदियों में से 10 महिला कैदी भी शामिल हैं। वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के तहत प्रशिक्षण लेने वाले 25 कैदियों को रेडीमेड गारमेंट मशीन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।प्रशिक्षण के बाद इन सभी 25 कैदियों को मशीन उपलब्ध भी कराई जाएगी जो कैदी मशीन की सहायता से रेडीमेड कपड़े बनाने का काम करेगा उसके कपड़े बाजार में दुकानों व कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट कर बाजार में सप्लाई कराए जाएंगे उससे मिलने वाले धन को बनाने वाले कैदियों में बांट दिया जाएगा।इस प्रकार जेल में रहते हुए भी कैदी आत्मनिर्भर बन सकेंगे। कौशल विकास के अंतर्गत जिला कारागार में बंद 119 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसमें से 24 महिला कैदी भी शामिल होंगी। इन सभी कैदियों को इलेक्ट्रीशियन, कंप्यूटर,एफ़आरएल, टेलरिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कौशल विकास के अंतर्गत कैदियों को प्रशिक्षण देने का उद्देश्य है कि जेल से निकलने के बाद इनके द्वारा आत्मनिर्भर होकर जीवन व्यापन कर सके साथ ही दोबारा क्राइम की दुनिया में कदम ना रखें। इसके लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट से लेकर कौशल विकास के प्रशिक्षण में 21 लेकर 50 वर्ष की आयु तक के कैदी भाग ले सकते हैं।जिला कारागार के जेलर संजय सिंह ने बताया कि कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने व जेल से छूटने के बाद उनको समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लगातार प्रशिक्षण दिया जाता है।इस बार वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के साथ कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र भी वितरित किए जाएँगे। इस प्रशिक्षण के बाद जेल में बंद कैदी आत्मनिर्भर होंगे साथ ही कैदियों में एक हुनर भी आएगा। इन दोनों प्रशिक्षण में महिला कैदियों ने भी बढ़-चढ़कर प्रतिभाग लिया है।

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